देश के अमीर हो रहे और ज्यादा धनवान, शीर्ष 1% के पास 11.6 लाख करोड़ डॉलर की संपत्ति

Edited By Updated: 26 Jul, 2025 05:08 AM

the country s rich are getting richer

भारत में आर्थिक असमानता और धन के केंद्रीकरण को लेकर एक नई रिपोर्ट में अहम खुलासा हुआ है।

नई दिल्ली: भारत में आर्थिक असमानता और धन के केंद्रीकरण को लेकर एक नई रिपोर्ट में अहम खुलासा हुआ है। वैश्विक अनुसंधान और निवेश फर्म Bernstein द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष 1% अति अमीर परिवारों के पास अब लगभग 11.6 लाख करोड़ डॉलर की संपत्ति है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा 2.7 लाख करोड़ डॉलर तरल वित्तीय संपत्तियों (liquid financial assets) में रखा गया है।

यह प्रवृत्ति न केवल आर्थिक संरचना को प्रभावित कर रही है, बल्कि वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर में भी बड़े अवसर पैदा कर रही है।

बढ़ती संपत्ति और वित्तीय परिसंपत्तियों की ओर झुकाव

Bernstein रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अति धनवान परिवार अब परंपरागत संपत्ति जैसे अचल संपत्ति (real estate) और सोने से हटकर बैंक जमा, शेयर, म्यूचुअल फंड और इक्विटी जैसे तरल वित्तीय निवेशों की ओर बढ़ रहे हैं। इसमें गैर-प्रवर्तक (non-promoter) इक्विटी होल्डिंग्स और बैंक जमा प्रमुख हैं।

भारतीय परिवारों की बढ़ती आय, स्थिर बचत दर, और वित्तीय जानकारी के प्रति बढ़ती जागरूकता इस बदलाव को प्रोत्साहित कर रही है।

पूंजी बाजार में तेजी और स्टार्टअप बूम का योगदान

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय पूंजी बाजारों में तेजी, IPOs और ब्लॉक डील्स जैसे माध्यमों से संपत्ति को नकदी में बदलने की प्रक्रिया को सरल बना रही है।

  • स्टार्टअप इकोसिस्टम के कारण भारत में अब उच्च संपत्ति वाले व्यक्तियों (HNIs) का एक नया वर्ग उभर रहा है — जिसमें स्टार्टअप के संस्थापक, सह-संस्थापक, और ESOP धारक कर्मचारी शामिल हैं।

  • ये नए अमीर लोग भी अपनी संपत्ति को व्यवस्थित और पेशेवर प्रबंधन की ओर स्थानांतरित कर रहे हैं।

वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर में संभावनाएं और चुनौतियां

Bernstein की रिपोर्ट इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि वेल्थ मैनेजमेंट इंडस्ट्री भारत में एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है:

  • लगभग 2.7 लाख करोड़ डॉलर की तरल वित्तीय परिसंपत्तियों में से केवल 11% संपत्ति ही वर्तमान में विशेष वेल्थ मैनेजरों द्वारा संचालित हो रही है।

  • शेष बाजार पर अभी भी पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली, असंगठित सलाहकार और पारिवारिक कार्यालयों (family offices) का वर्चस्व है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि संगठित वेल्थ मैनेजमेंट फर्मों के पास अब व्यापक उत्पाद पोर्टफोलियो, अनुभवी फाइनेंशियल एडवाइज़र, और टेक-ड्रिवन रणनीतियों के चलते, इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की जबरदस्त संभावनाएं हैं।

पेशेवर सलाह की बढ़ती जरूरत

धन के केंद्रीकरण और विविध पोर्टफोलियो के कारण, HNI और Ultra-HNI वर्ग अनुकूलित, पारदर्शी और रणनीतिक निवेश सलाह की तलाश में हैं।

  • Estate planning, tax optimization, global investments, philanthropy, और succession planning जैसे पहलुओं को लेकर अब पेशेवर परामर्श की मांग तेजी से बढ़ रही है।

  • यह ट्रेंड न केवल धन प्रबंधन व्यवसायों को मजबूत करेगा, बल्कि फिनटेक और निजी बैंकिंग सेक्टर को भी नई दिशा देगा।

भारत बन रहा वेल्थ मैनेजमेंट हब?

Bernstein का आकलन है कि अगले 5–7 वर्षों में:

  • भारत में प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर की ग्रोथ 15-20% सालाना की दर से हो सकती है।

  • HNIs की संख्या में दोगुनी वृद्धि हो सकती है, खासकर युवा उद्यमियों और डिजिटली सशक्त निवेशकों के कारण।

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