‘कुछ बाकायदा पाक फौज को कबायलियों का रोल अदा करना था’

Edited By Updated: 23 Nov, 2020 03:58 AM

some of the pak army were to play the role of the tribesmen

‘हमारी ताकत में मौजूद इस कदर फर्क के कारण मुझे मजबूरन यह फैसला करना पड़ा कि मुझे भारतीयों को मेरी थोड़ी सी ताकत पर हमला करने नहीं देना चाहिए। फिर भी यदि मैं पूरी तरह से बचाव की हालत में ही आ जाऊं तो यह अच्छी स्थिति शीघ्र ...

‘‘हमारी ताकत में मौजूद इस कदर फर्क के कारण मुझे मजबूरन यह फैसला करना पड़ा कि मुझे भारतीयों को मेरी थोड़ी सी ताकत पर हमला करने नहीं देना चाहिए। फिर भी यदि मैं पूरी तरह से बचाव की हालत में ही आ जाऊं तो यह अच्छी स्थिति शीघ्र अथवा बाद में नफरी और हथियारों की कमी के कारण दबाव में आ जाएगी।’’ 

‘‘इसलिए हमारे लिए ज्यादा आशाजनक बात यह थी कि भारतीयों को पहाडिय़ों की ओर भगाने की कोशिश की जाए, उनको बिखेर दिया जाए ताकि वह कोई प्रभावशाली हमला करने के लिए अपना ध्यान सही तौर पर केन्द्रित करने के काबिल न रहें क्योंकि वह सदा ही कबायलियों से भयभीत रहते हैं, इसलिए वह अपनी केन्द्रीय फौज की हिफाजत को यकीनी बनाने के लिए आसानी से इधर-उधर फैल जाएंगे। लेकिन इस पड़ाव पर और इस इलाके में तो कोई कबायली मौजूद ही नहीं थे लेकिन वह दोबारा तो आ ही रहे होंगे। इसलिए इस समय के बीच कुछ बाकायदा पाक फौजियों को कबायलियों का रोल अदा करना होगा भारतीयों को कुछ दिनों तक तो यह अन्तर मालूम नहीं हो सकेगा।’’

‘‘क्योंकि बाग रोड भी कुछ समय तक तैयार नहीं होगा, इसलिए हमें फिलहाल थोड़े-थोड़े वक्फे से और स्थानों को तबदील करते रहने से छोटे छापामार दस्तों के रूप में ही रहने पर बस करना होगा। इस रणनीति के अधीन मैंने नदी के दोनों किनारों पर एक अच्छा बचाव का मोर्चा बनाने का फैसला किया, जिसके मुताबिक हर एक किनारा एक बटालियन के हवाले किया जाएगा, जबकि बाकी की आधी बटालियन को इधर-उधर की ओर से दुश्मन को परेशान करने का काम फौज को दिया जाएगा। मुझे यह आशा थी कि बचाव की दो पोजीशनों से हम दुश्मन पर एक गंभीर दबाव डाल सकेंगे जो उन्हें थोड़ी देर के लिए खामोश कर सकता है फिर उसके बाद तब तक आजाद और कबायलियों के वापिस आने की स्थिति में हम ज्यादा प्रभावशाली ढंग से दुश्मनों पर छा जाएंगे जैसा कि नीचे के खाका में स्पष्ट किया गया है :’’ 

‘‘दो बटालियनों के वास्तविक रूप से मौजूद होने के संबंध में एक के लिए चकौती में सड़क पर पहले ही मोर्चा दिया गया है जो कि एक अच्छा मोर्चा था और दरिया के दूसरी ओर मौजूद बटालियन के लिए, मैंने विब डोरी का चुनाव किया जो 6000 फुट के स्थान पर है क्योंकि इस ऊंची पहाड़ी के आस-पास पहुंच पाना काफी मुश्किल था। इसका अगला हिस्सा एक झरने से गिरा हुआ था जो उसे कुछ हिफाजत उपलब्ध करता था लेकिन गंभीर कठिनाई एक यह थी कि विब डोरी चकौती के पीछे 5 मील के दूरी पर था और उसकी सहायता नहीं की जा सकती थी, क्योंकि हमारे पास पांडु पहाड़ी (9000 फुट ऊंची) पर कब्जा जमाने के लिए समय नहीं था और पांडु और विबडोरी का दरमियानी इलाका काफी हद तक सुरक्षित नहीं था। इस प्रकार विबडोरी ही एक विकल्प था।’’-पेशकश: ओम प्रकाश खेमकरणी
 

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