दागदार होते पारिवारिक रिश्ते

Edited By ,Updated: 23 Mar, 2023 04:43 AM

strained family relationships

देश के अनेक हिस्सों से अमर्यादित यौन संबंधों की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है।

देश के अनेक हिस्सों से अमर्यादित यौन संबंधों की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। इसके साथ ही पारिवारिक, नजदीकी और मर्यादित रिश्तों में अमर्यादित यौन संबंधों का चलन भारतीय समाज के लिए चिंताजनक बनता जा रहा है इसे अंग्रेजी में इन्सैस्ट भी कहा जाता है। अंग्रेजी शब्द इन्सैस्ट का अर्थ है-समाज द्वारा निषिद्ध यौन संबंध यानी निकट संबंधियों  के बीच आपसी यौन संबंध। इस तरह के यौन संबंधों को दुनिया का कोई भी समाज मान्यता नहीं देता है। अंग्रेजी में यह शब्द प्राचीन लातिनी भाषा से आया है। लातिनी में इन्सैस्ट का मतलब होता है-पाप या अपराध। यह नैतिक दृष्टि से एक जघन्य अपराध माना जाता है।

इन्सैस्ट यानी पारिवारिक व्यभिचार का मतलब है कि अपने ही रक्त संबंध में अनैतिक यौन संबंध स्थापित करना। यूं तो यह एक संवेदनशील और अमर्यादित विषय होने के कारण हमारी नि:संकोच बातचीत का हिस्सा नहीं होता। इससे जुड़ी खबरों में लगातार वृद्धि से सामाजिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा रहे इस मुद्दे पर मुखरता से बहस देखने में आ रही है। इस विषय पर बात करना और यहां तक लिखना भी नीम करेले को खाने जैसा अनुभव है। भारत में भी इन्सैस्ट आमतौर पर होता है और पर्दे के पीछे ही रहता है।

आज भी देश के कई घरों की चारदीवारी में मर्यादित रिश्तों में अमर्यादित यौन संबंधों का बोलबाला है जिसके बारे में जानकारी जल्दी नहीं हो पाती। कई बार तो इसमें पारिवारिक सदस्यों की मौन सहमति भी मौजूद रहती है। इन्सैस्ट की भावना कैसे पनपती है इसके बारे में मनोवैज्ञानिक एक साधारण उदाहरण देते हैं। जैसे किसी घर की स्त्री घर के बच्चे को छोटा समझ कर उसके सामने कपड़े बदल लेती है या पति-पत्नी को संबंध बनाते हुए बालक या बालिका देखे तब उसके अंदर यह भावना घर कर जाती है।

उसको यह पता है  कि यह गलत है पर खुद की यौनेच्छा पर काबू नहीं कर पाता और यह बात इसके अंदर मानसिक रूप से फंस जाती है। और तो और इसके पीछे इन्टरनैट पर खुले तौर पर उपलब्ध इन्सैस्ट पोर्न भी बराबर जिम्मेदार है। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि बहुत से लोग इसमें इसलिए ज्यादा सम्मिलित रहते हैं क्योंकि इसमें वह अपने साथी से आसानी से मिल सकते हैं और सुविधानुसार यौन संबंध कायम कर सकते हैं। परिवार के सदस्यों के बीच यौन संबंध इसलिए भी गलत होता है क्योंकि वह अक्सर इसी तरह की पावर का इस्तेमाल करके बनाया जाता है।

चाहे इस पावर का इस्तेमाल दिखाई दे या न दे परिवार के सदस्य के बीच यौन संबंध यह उस व्यक्ति के दिमाग पर खराब असर डाल सकता है जिसे इस तरह के यौन एक्शन के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस तरह के यौन संबंध परिवार के ढांचे को खतरे में डाल सकते हैं। अमर्यादित रिश्तों के जन्म लेते ही घर की चारदीवारी में हमारी मां, बहन, बेटियां और नाबालिग असुरक्षित हो जाती हैं।

यदि यौन संबंध रखने वाले भागीदारों में से एक नाबालिग या दूसरा वयस्क है, तो इस कारण से बहुत से नाबालिग वर्षों तक परिवार के भीतर यौन शोषण का शिकार होते रहते हैं क्योंकि उनको डर होता है कि बता देने से उनके परिवार के व्यक्ति को जेल हो सकती है और परिवार का नाम खराब होगा। इसके अलावा, परिवार के अन्य लोग उनकी बात पर विश्वास करने से इंकार कर सकते हैं।

ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्राजील, डेनमार्क, कनाडा और अमरीका जैसे कई देशों में इसे गैर-कानूनी माना जाता है, लेकिन भारत में इसके लिए स्पष्ट कानून तय नहीं किया गया है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आई.पी.सी.  की धारा 497 खत्म करने के कारण अब ऐसे रिश्ते बढ़ रहे हैं जोकि एक बहुत ही खतरनाक सामाजिक प्रवृति है।
क्या समय की जरूरत नहीं है कि इस अपराध को गंभीरता से समझा जाए।

यह आश्चर्यजनक है कि दुनिया भर के देशों में इन्सैस्ट के लिए अलग से कानून है लेकिन कई देशों में अभी तक इसे अपराध की तरह नहीं समझा जा रहा जबकि नाबालिग के साथ किए गए इस तरह के अपराध को गंभीरता से लिया जाता है। क्या इन्सैस्ट के इस चलन को भारतीय समाज में कंट्रोल किया जा सकता है या नहीं इस पर एक बड़ी सामाजिक बहस की जरूरत दरकार है और यह अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। -डा. वरिन्द्र भाटिया

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