संगीत से टी.बी. रोगियों की मदद

Edited By Pardeep,Updated: 09 May, 2018 04:46 AM

tb with music help patients

संगीत की स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने की ताकत बारे सभी को पता है मगर 7 बहादुर युवाओं ने इसे साबित भी किया है। मल्टी ड्रग रजिस्टैंट ट्यूबरक्लोसिस (एम.डी.आर.-टी.बी.) से पीड़ित 5 युवाओं तथा 2 युवतियों ने अन्य टी.बी. पीड़ितों की बीमारी से लडऩे में सहायता संगीत...

संगीत की स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने की ताकत बारे सभी को पता है मगर 7 बहादुर युवाओं ने इसे साबित भी किया है। मल्टी ड्रग रजिस्टैंट ट्यूबरक्लोसिस (एम.डी.आर.-टी.बी.) से पीड़ित 5 युवाओं तथा 2 युवतियों ने अन्य टी.बी. पीड़ितों की बीमारी से लडऩे में सहायता संगीत के माध्यम से करने का निर्णय किया। सातों ने एक बैंड (संगीत ग्रुप) का गठन किया और प्रत्येक सप्ताहांत पर सेवरी टी.बी. अस्पताल में प्रस्तुति देंगे ताकि वहां उपचाराधीन 800 रोगियों के चेहरे पर मुस्कान ला सकें। 

शनिवार को ग्रुप ने अस्पताल में अपनी पहली प्रस्तुति देते हुए कुछ लेटैस्ट हिट्स के साथ-साथ पुराने गीत भी प्रस्तुत किए। विभिन्न वार्डों में उनका कार्यक्रम लगभग 2 घंटे तक चला। बीमारी की गम्भीर स्थिति के कारण अवसाद का सामना कर रहे बहुत से रोगी अगले सप्ताहांत उनकी वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बैंड के एक सदस्य 25 वर्षीय अमीन हकीम ने बताया कि कैसे 4 माह पूर्व ग्रुप का गठन हुआ। उसने बताया कि वह प्रभादेवी डी.ओ.टी. (डायरैक्टली आब्जव्र्ड थैरेपी) सैंटर में अन्य युवा रोगियों से मिला और उन्होंने उपचार के दौरान एक-दूसरे की मदद करने हेतु एक व्हाट्सएप ग्रुप बना लिया। फिर उन्होंने वीकैन्ड्स पर मिलना और गायन तथा गिटार बजाने जैसी कई गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू किया। 

हकीम ने बताया कि धीरे-धीरे उन्हें इसके स्वास्थ्य लाभों का एहसास होना शुरू हुआ और उनका वजन भी बढऩे लगा तथा वे खुद को अवसाद में भी महसूस नहीं करते थे। तब उन्होंने बैंड बनाने का निर्णय किया जिसके माध्यम से और अधिक लोगों को प्रेरित कर सकें। हकीम का मित्र 22 वर्षीय जतिन्द्र सिंह उन्हें गिटार के लैसन दे रहा है। वह भी शनिवार को बैंड तथा रोगियों की हौसला अफजाई करने के लिए अस्पताल में मौजूद था। एम.डी.आर.-टी.बी. बैकिलस माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण होता है जो प्रथम पंक्ति की दवाओं का प्रतिरोधी होता है, जैसे कि रिफामपिसिन तथा आइसोनियाजिड। 

टी.बी. के लिए सामान्य 6 महीने के उपचार की बजाय इस तरह के टी.बी. वाले रोगियों को दूसरी पंक्ति की दवाएं लगभग 2 वर्ष तक लेनी पड़ती हैं। एम.डी.आर.-टी.बी. के लिए ली जाने वाली दवाओं से उल्टियां, चकत्ते, जोड़ों का दर्द, मूड में बदलाव, कानों में घंटियां बजना, नजर की समस्या होती है तथा फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जिससे रोगियों को सामान्य कार्य करने में कठिनाई होती है। आमतौर पर रोगी इस आशा में दवाई छोड़ देते हैं कि उन्हें बेहतर महसूस होगा मगर इससे मामला और पेचीदा हो जाता है क्योंकि उपचार में टूटन आने से बीमारी की और गम्भीर किस्म विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है। 

सेवरी टी.बी. अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डा. ललित आनंदे ने बताया कि उन्हें इन 7 युवा रोगियों के समूह में जोश तथा अस्पताल में रोगियों पर उनके प्रभाव को देख कर बहुत खुशी है। उन्होंने कभी अपने रोगियों को इतना खुश नहीं देखा था। वे उनके साथ गाते तथा नाचते हैं। उस पल वे अपनी बीमारी तथा पीड़ा को भूल जाते हैं। लम्बे चलने वाले टी.बी. रोधी उपचार के दौरान रोगियों को 6 महीने तक प्रतिदिन एक इंजैक्शन तथा 2 वर्षों तक 16 गोलियां रोज लेनी पड़ती हैं। इससे भी बढ़कर समाज द्वारा बहिष्कृत किए जाने से आमतौर पर रोगी अवसाद में चले जाते हैं। सेवरी टी.बी. अस्पताल में कुछ रोगी आत्महत्या भी कर चुके हैं, जिस कारण रोगियों को प्रोत्साहित करने के लिए वहां कौंसलर्स नियुक्त किए गए हैं। 

बैंड के सबसे युवा सदस्य 19 वर्षीय राहुल गुप्ता ने बताया कि संगीत ने वास्तव में उसे अवसाद से बाहर निकलने में मदद की है। संगीत के कारण वे मौत के मुंह से वापस लौट आए हैं और अब दूसरों की मदद कर रहे हैं। सेवरी टी.बी. अस्पताल में दाखिल 20 वर्षीय भावना सोलंकी ने बताया कि अस्पताल का माहौल आपको अवसादपूर्ण बना देता है, जिससे आप खुद को और भी बीमार महसूस करते हैं। पहली बार अस्पताल में उसे खुशी महसूस हुई, जिसके लिए बैंड को धन्यवाद। एक अन्य रोगी पूजा डडवाल, जो बैंड के साथ गा रही थी, ने कहा कि खुद इस बीमारी से जूझ रहे युवा उनके चेहरों पर मुस्कुराहट लाने के लिए आगे आए हैं। इससे वास्तव में हमें प्रेरणा मिलती है।-एल. मिश्रा

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