खबर यह नहीं कि मोदी जी ने झूठ बोला

Edited By ,Updated: 23 Apr, 2024 05:29 AM

the news is not that modi ji lied

‘‘खबर यह नहीं है कि मोदी जी ने झूठ बोला। असली खबर यह है कि झूठ की परतों के नीचे से सच निकल आया और मोदी जी को सार्वजनिक मंच से सच को मानना पड़ा।’’ मैंने अपने मित्र से कहा। वह अभी-अभी यू-ट्यूब पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांसवाड़ा में दिया चुनावी...

‘‘खबर यह नहीं है कि मोदी जी ने झूठ बोला। असली खबर यह है कि झूठ की परतों के नीचे से सच निकल आया और मोदी जी को सार्वजनिक मंच से सच को मानना पड़ा।’’ मैंने अपने मित्र से कहा। वह अभी-अभी यू-ट्यूब पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांसवाड़ा में दिया चुनावी भाषण सुन कर आ रहे थे। उद्विग्न थे, उत्तेजित भी। छूटते ही मुझसे बोले, ‘‘आपने सुना प्रधानमंत्री ने क्या बोला? इतनी बड़ी कुर्सी पर बैठा आदमी इतनी घटिया बात कैसे बोल सकता है? एक प्रधानमंत्री अपने से पिछले प्रधानमंत्री के बयान पर इतना सफेद झूठ कैसे बोल सकता है? अपने देश के ही लोगों के खिलाफ इस तरह नफरत कैसे फैला सकता है? आप लोगों को इसके खिलाफ कुछ करना चाहिए। मुसलमानों के खिलाफ द्वेष और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ झूठ का खंडन करना चाहिए।’’ उनकी बात में पीड़ा के साथ मासूमियत भी टपक रही थी। 

मेरा जवाब सुनकर वे संतुष्ट नहीं हुए। बोले, ‘‘कमाल है, प्रधानमंत्री का झूठ बोलना खबर क्यों नहीं है? और वह असली खबर कौन-सी है जो बाहर निकल आई? आप पहेलियां मत बुझाइए, सीधी-सीधी बात मुझे बताइए।’’ मैंने कहा, ‘‘भाई, न्यूज तो उसे कहा जाता है न जिसमें कुछ न्यू हो? खबर उस बात की बनती है जिसमें कुछ नयापन हो। अब आप ही  बताइए, मोदी जी ने झूठ बोला, इसमें नई बात क्या है? हां, अगर हमारे मीडिया में हिम्मत होती तो वह ऐसी खबर बना सकता था जैसी अमरीका में न्यूयार्क टाइम्स राष्ट्रपति ट्रम्प के बारे में चलाया करता था-आज ट्रम्प ने इस चुनावी अभियान का 26वां झूठ बोला।’’ 

एक सज्जन साथ खड़े हमारी बात सुन रहे थे। उन्होंने झिझकते हुए दखल दिया, ‘‘मैं आप दोनों की बात सुन रहा था। आप दोनों कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने चुनावी सभा में एक झूठ बोला है। लेकिन मैंने अभी व्हाट्सएप पर एक क्लिप देखी। मैंने अपने कानों से सुना कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने मुंह से मुसलमानों का नाम ले रहे थे और कह रहे थे कि इस देश के संसाधनों पर उनका पहला अधिकार होना चाहिए। यह भाषण बहुत पुराना था और इसका जिक्र करना जरूरी नहीं था, लेकिन आप इसे झूठ क्यों बताते हैं?’’मेरे दोस्त हमारी बातचीत में इस खलल से खुश नहीं थे, लेकिन मुझे जरूरी लगा कि इस सवाल का जवाब दिया जाए। ‘‘इस प्रधानमंत्री ने एक नहीं बल्कि एक ही सांस में तीन झूठ बोले। पहला झूठ यह कि डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा था कि मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला अधिकार होना चाहिए। आप जिस 10 सैकेंड की क्लिप को देखकर आए हैं वह भाजपा के मीडिया सैल वालों ने उनके भाषण के एक पैरा के अंतिम दो वाक्य काटकर बनाई है। 

यह भाषण तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 2006 में दिया था जिसमें उन्होंने देश के विकास में हाशियाग्रस्त समूहों को उचित अधिकार मिलने की बात दोहराई थी। जिस पैरा से वह क्लिप काटी गई है उसमें वे सभी वंचित वर्गों-दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुसलमानों-का नाम लेते हैं और कहते हैं कि देश के संसाधनों पर इन सब वर्गों का पहला हक होना चाहिए। यह कुछ वैसी ही बात हुई जैसी कि महात्मा गांधी ने अपने ताबीज मंत्र में कही थी । बस संयोग यह था कि उन्होंने पहले इन सब वर्गों को गिनाने के बाद अंतिम पंक्ति में अल्पसंख्यकों, खास तौर पर मुसलमानों का नाम लिया था। बस दो वाक्यों को जोड़ कर भाजपा ने यह दुष्प्रचार शुरू किया कि वे केवल मुसलमानों के लिए बोल रहे थे।’’ 

उनके चेहरे पर हैरानी देखकर मैंने और स्पष्ट किया, ‘‘ये कुछ ऐसी ही बात है कि आप अपनी वसीयत में अपनी मां, पत्नी, बच्चों और भतीजे का जिक्र करने के बाद अपनी विधवा भाभी का नाम भी लिखें और अपनी सम्पत्ति में इन सब का हिस्सा दर्ज करें। और बाद में कोई दिलजला मोहल्ले में आंख मारकर पूछे कि इस आदमी ने अपनी सारी सम्पत्ति अपनी भाभी के नाम क्यों की थी। आप बताइए उसे आप क्या कहेंगे?’’ अब उनकी समझ में बात आने लगी थी। बोले, ‘‘अगर ऐसा है तो यह तो सिर्फ झूठ नहीं शरारत है, दरअसल बदमाशी है। पर अगर ऐसा था तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात को तभी स्पष्ट क्यों नहीं किया?’’ मैंने उन्हें याद दिलाया कि यह भाषण जब 2006 में दिया गया था तभी भाजपा ने उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया था और उसी वक्त प्रधानमंत्री कार्यालय ने बाकायदा बयान देकर  इसका खंडन किया था और प्रधानमंत्री के भाषण का आशय दोबारा समझाया था, लेकिन मोदी जी को तो सच से कोई मतलब नहीं है। 

‘‘और बाकी दो झूठ?’’ उन्होंने पूछा। मैंने वे भी गिनवा दिए। ‘‘दूसरा झूठ यह है कि कांग्रेस मैनीफैस्टो में देश की सम्पत्ति को बांटकर उसे मुसलमानों को देने जैसी कोई बात है। सच यह है कि कांग्रेस के मैनीफैस्टो में मुसलमानों का जिक्र भी नहीं है। इस मैनीफैस्टो में अल्पसंख्यकों के बारे में वही सब बातें कही गई हैं जो पिछले कुछ चुनावों में भाजपा स्वयं कह चुकी है। और न ही इस मैनीफैस्टो में देश की सम्पत्ति के नए सिरे से बंटवारे जैसी कोई बात कही गई है। यह सब सफेद झूठ है। और तीसरा झूठ यह है कि भारत के मुसलमान घुसपैठिए हैं। इस देश की लगभग 20 करोड़ मुस्लिम आबादी में मुट्ठी भर परिवारों को छोड़ कर बाक़ी सब की सात पीढिय़ों के ही नहीं बल्कि आदि अनंत से ही जिनकी जड़ें इसी देश की मिट्टी में हैं, उन्हें ही घुसपैठिया बताना सिर्फ महाझूठ नहीं है, बल्कि इस देश के इतिहास के साथ गद्दारी है।’’ 

अब तक हमारे इस वार्तालाप को सुनकर मेरे मित्र कुछ थकने लगे थे। बोले, ‘‘उनको तो जवाब दे दिया। अब अपनी पहेली भी सुलझा दो न कि फिर असली खबर क्या है?’’ मैंने कहा, ‘‘आप इतना सोशल मीडिया देखते हो, आपने चुनाव के पहले दौर की असली खबर नहीं देखी? असली खबर यह है कि पहले दौर में जिन 102 सीटों पर चुनाव हुआ है वहां से भाजपा के लिए खबर अच्छी नहीं है। पिछले चुनाव में इन सीटों पर 70 प्रतिशत मतदान हुआ था, इस बार घटकर 66 प्रतिशत रह गया है। यानी पिछली बार के मुकाबले लगभग 65 लाख वोटर घर पर बैठे रहे। मतदान में गिरावट उन सीटों पर ज्यादा हुई है जहां भाजपा की हवा थी-उन सीटों पर 5 प्रतिशत गिरावट हुई है जबकि बाकी पर सिर्फ अढ़ाई प्रतिशत। हवा का रुख पलटने से भाजपा की हवा निकली हुई है। 

नागपुर और दिल्ली में एमरजैंसी बैठकें हुई हैं। इसलिए पिचके गुब्बारे में फिर से हवा भरने की जिम्मेदारी मोदी जी ने ली है। ऑक्सीजन है नहीं इसलिए जहरीली हवा भरी जा रही है। यह भाषण इसीलिए दिया जा रहा है कि जवान-किसान की बजाय मामला फिर से हिन्दू-मुसलमान पर उतर जाए। उड़ती-उड़ती खबर तो यह भी है कि आने वाले दिनों में सिर्फ जहरीले भाषण ही नहीं होंगे, मामला उससे भी आगे बढ़ सकता है। आपने मोदी जी का भाषण सुना तो यह नोटिस नहीं किया कि उन्होंने इस भाषण के अंत में एक कातर-सी अपील की-चाहे जिसे भी वोट दो, मगर वोट जरूर दो। मतलब मोदी जी अपने समर्थकों से कह रहे हैं कि पहले चरण में झटका लग चुका है, अब किसी तरह उसकी भरपाई कर दो। असली खबर यह है कि मोदी जी ने चुनावी मंच से एक सच कबूल कर लिया।’’-योगेन्द्र यादव
 

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