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मुस्लिम, हिंदू या ईसाई बच्चे के रोने में कोई अंतर नहीं होता

Edited By ,Updated: 15 Feb, 2023 06:52 AM

there is no difference between the crying of a muslim hindu or christian child

श्रीमती कपूर ने एक दिन घर की पेइंग गैस्ट लड़कियों से कहा, ‘‘मैं एक बहुत ही धर्मनिरपेक्ष महिला हूं, मुझे परवाह नहीं है कि आप पंजाबी हैं, बिहारी या फिर दक्षिण भारतीय हैं। इस दौरान उसके ठीक ऊपर वाले खाली फ्लैट में दरवाजा खुलने की आवाज आई। श्रीमती कपूर...

श्रीमती कपूर ने एक दिन घर की पेइंग गैस्ट लड़कियों से कहा, ‘‘मैं एक बहुत ही धर्मनिरपेक्ष महिला हूं, मुझे परवाह नहीं है कि आप पंजाबी हैं, बिहारी या फिर दक्षिण भारतीय हैं। इस दौरान उसके ठीक ऊपर वाले खाली फ्लैट में दरवाजा खुलने की आवाज आई। श्रीमती कपूर सीढिय़ों से एकदम ऊपर की तरफ भागी और उन्होंने एक कर्मचारी को अंदर फर्श पर झाड़ू लगाते हुए पाया।’’ कपूर ने पूछा, ‘‘यह क्या हो रहा है?’’ श्रीमती कपूर के पैरों पर से धूल झाड़ते हुए कर्मचारी ने कहा, ‘‘नए मालिक ने मुझे फ्लैट साफ करने के लिए कहा है।’’ ‘‘नया मालिक कौन है?’’ श्रीमती कपूर ने पूछा और फिर मुस्कुराई जब कर्मचारी ने एक नाम का उल्लेख किया। श्रीमती कपूर ने नीचे आकर लड़कियों से कहा, ‘‘मुझे यह समुदाय बिल्कुल भी पसंद नहीं है।’’ उनमें से एक ने कहा, ‘‘आपने अभी कहा था कि आप एक धर्मनिरपेक्ष महिला हैं।’’ 

स्पष्ट रूप से श्रीमती कपूर ऐसी नहीं थी क्योंकि वह सचिव से लेकर चेयरमैन तक यह देखने के लिए गई थी कि फ्लैट इस विशेष समुदाय के किसी व्यक्ति को हस्तांतरित तो नहीं किया गया था लेकिन यहां थोड़ी देर लग रही थी क्योंकि लेन-देन पहले ही हो चुका था। उसके बाद श्रीमती कपूर को अक्सर फ्लैट के खुलने की आवाज आती थी और यहां तक कि एक बच्चे के रोने की आवाज भी सुनाई देती थी। जब भी कारपेंटर कील ठोंकता था तो श्रीमती कपूर अपने दांत पीसा करती थी। एक दिन उसके दरवाजे पर तत्काल ही एक दस्तक हुई, ‘‘कौन है?’’ श्रीमती कपूर ने पूछा। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो अविश्वसनीय रूप से एक सुंदर महिला को देखा जो उन्होंने पहले देखी नहीं थी, उस महिला ने कहा, ‘‘क्या मैं कुछ दूध उधार ले सकती हूं क्योंकि मेरा बच्चा भूखा है।’’‘‘बिल्कुल।’’ श्रीमती कपूर ने कहा। ‘‘अंदर आओ, तुम्हारा नाम क्या है?’’ 

उस महिला ने उसे अपना नाम बताया और श्रीमती कपूर को बहुत देर से पता चला कि यह महिला कौन है? लेकिन आतिथ्य श्रीमती कपूर का गुण था और उन्होंने दूध को उबाला, उसे दूध पिलाने वाली बोतल में डालने में मदद की और फिर जैसे ही बच्चे को दूध पिलाया गया उन्होंने खूब बातें कीं। इस बातचीत में खरीदारी, जीवन, शिशुओं, चित्रों और टी.वी. धारावाहिकों के बारे में सीधी-सादी बातें थीं। श्रीमती कपूर ने युवा मां को चाय का दूसरा प्याला और खुद तीसरा प्याला डालते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारे पति किस समय घर आते हैं? जब भी तुम बोर हो जाओ तो मेरे घर चली आना।’’ उस शाम लड़कियां नई पड़ोसन से मिलीं। ‘‘यह बिल्कुल हमारे जैसी है।’’ श्रीमती कपूर ने उस रात लड़कियों से कहा। ‘‘क्या मैं मूर्ख थी जो उन्हें इमारत में रहने से रोकने की कोशिश कर रही थी।’’ श्रीमती कपूर और महिला के घनिष्ठ मित्र बनने में अधिक वक्त नहीं लगा और श्रीमती कपूर द्वारा उस

महिला के बच्चे को घर लाना शुरू कर दिया गया। इसमें कोई लम्बा वक्त नहीं लगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस घर ने कभी किसी बच्चे को हंसते या रोते हुए नहीं सुना।’’ मुस्लिम, ङ्क्षहदू या ईसाई बच्चे के रोने में कोई अंतर नहीं होता है। श्रीमती कपूर के पेइंग गैस्ट्स में से एक ने फुसफुसाते हुए यह बात कही और आगे कहा, ‘‘वे सभी एक ही भगवान द्वारा बनाए गए हैं।’’-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
 

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