राघव चड्ढा का ट्रंप प्रशासन पर हमला – छात्रों के सपनों और स्वतंत्रता पर संकट

Edited By Anu Malhotra,Updated: 24 May, 2025 11:11 AM

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अमेरिका में पढ़ाई का सपना देख रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एक बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को विदेशी छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया गया है। इस...

नई दिल्ली: अमेरिका में पढ़ाई का सपना देख रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एक बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को विदेशी छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया गया है। इस विवादास्पद फैसले को लेकर भारतीय राज्यसभा सांसद और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र राघव चड्ढा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हुए लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप का यह कदम हार्वर्ड सहित दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सपनों और भविष्य पर खतरा है। एक हार्वर्ड एलुमनाई के तौर पर मैं समावेशिता और अकादमिक स्वतंत्रता के पक्ष में खड़ा हूं।” उन्होंने #IStandWithHarvard हैशटैग के साथ हार्वर्ड और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ एकजुटता जताई।

हार्वर्ड का कड़ा विरोध, कानूनी लड़ाई शुरू
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस फैसले को "गैरकानूनी और अनुचित" बताते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यूनिवर्सिटी ने कहा कि यह निर्णय न केवल हजारों छात्रों और स्कॉलर्स के भविष्य को खतरे में डालता है, बल्कि यह उच्च शिक्षा की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। इसके विरोध में यूनिवर्सिटी ने कानूनी शिकायत दर्ज कर दी है और अस्थायी रोक (Temporary Restraining Order) की मांग की है।

यूनिवर्सिटी के बयान में कहा गया, “फेडरल सरकार द्वारा हमारी स्टूडेंट और एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) की सर्टिफिकेशन को रद्द करना और F व J वीजा जारी करने की हमारी अनुमति को खत्म करना शिक्षा और स्वतंत्रता पर हमला है। यह हमारे कोर्स, संकाय और छात्रों पर नियंत्रण थोपने की अवैध कोशिशों का हिस्सा है।”

व्हाइट हाउस का आरोप: "प्रवासी छात्रों को दाखिला देना विशेषाधिकार, अधिकार नहीं"
वहीं, व्हाइट हाउस ने अपने बचाव में कहा है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने बार-बार “अमेरिकी छात्रों पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभावों” की अनदेखी की है और संस्थान को “एंटी-अमेरिकन और आतंक समर्थक आंदोलनकारियों का अड्डा” बना दिया है। प्रशासन ने यह भी आरोप लगाया कि हार्वर्ड ने कैंपस में यहूदी विरोधी माहौल और 'रेसिस्ट डाइवर्सिटी एजेंडा' को बढ़ावा दिया है।

छात्रों और शिक्षकों में नाराज़गी
इस फैसले से हार्वर्ड के छात्र समुदाय में गहरा आक्रोश है। यूनिवर्सिटी ने सभी प्रभावित छात्रों को आश्वासन दिया है कि उनके लिए हर संभव मदद की जाएगी और यूनिवर्सिटी वैश्विक समुदाय के लिए खुली रहेगी।

यूनिवर्सिटी ने कहा, “विदेशी छात्र हमारे साथी, मित्र और सहयोगी हैं। उनकी मौजूदगी से हमारा ज्ञान, हमारी समझ और हमारा समाज बेहतर बनता है। हम उनके साथ खड़े हैं।”

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