‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ का आना आवश्यक क्यों

Edited By ,Updated: 22 Sep, 2020 03:41 AM

why the need for a population control law

देश की वास्तविक समस्या क्या है? गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षा अभाव, बिजली, पानी, सड़क, अपराध, घूसखोरी, जमाखोरी, महिला अपराध, रूढि़वादिता, धर्मवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण...

देश की वास्तविक समस्या क्या है? गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षा अभाव, बिजली, पानी, सड़क, अपराध, घूसखोरी, जमाखोरी, महिला अपराध, रूढि़वादिता, धर्मवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, नशाखोरी, प्रदूषण, सरकारी कामकाज, जहरीली हवा, दूषित पानी, ध्वनि प्रदूषण शहरीकरण, मॉब-लिंचिंग, फेक न्यूज, किसान आत्महत्या, कृषि समस्याएं, अर्थव्यवस्था, औसत आय में कमी, यातायात सुविधाओं का अभाव, सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण, सेवा समाप्ति या कुछ और? पर देश की प्रमुख समस्याओं की तह में जाकर उनके होने के कारणों की विवेचना करने पर सभी समस्याओं का मूल कारण ‘बढ़ती जनसंख्या’ ही मिलेगा। 

सात दशकों से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बावजूद इस समस्या पर अब तक आवश्यक उचित कार्रवाई नहीं की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा लाल किले से अपने भाषण में इस विषय को महत्व देना आशा की नई किरण के समान है क्योंकि अधिकांश विषयों में प्रधानमंत्री जी ने जब भी लाल किले से बोला है तो उस पर कार्रवाई भी की है। 

आंकड़ों के आधार पर भारत की जनसंख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है, पहले स्थान पर चीन है। जबकि सच्चाई यह है कि हमारी जनसंख्या चीन से भी अधिक हो चुकी है। वैश्विक कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा भारत का है जबकि वैश्विक स्तर का भारत में मात्र 4 प्रतिशत पानी पीने योग्य है। बेरोजगारी दर 9 प्रतिशत के करीब है। विश्व में, जनसंख्या घनत्व  (407.7/2) में हमारा स्थान 33वां, प्रजनन दर में 103वां, प्रवासी के रूप में काम करने में पहला स्थान है। अपेक्षित जीवन में हमारा स्थान 130वां, शिशु मृत्युदर में 116वां, सिगरेट की खपत में 12वां, शराब की खपत में 76वां, भुखमरी में 102वां, आत्महत्या में 19वां, स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च में 141वां, ह्यूमन कैपिटल इंडैक्स में 115वां, साक्षरता में 168वां, वल्र्ड हैप्पीनैस रिपोर्ट में 140वां, ह्यूमन डिवैल्पमैंट इंडैक्स में 129वां स्थान है। 

सामाजिक प्रोग्रैस इंडैक्स में 53वां, होमलैस पापुलेशन में 8वां, बंदूक के स्वामित्व के मामले में दूसरा, लिंग असमानता सूचकांक में 76वां, जानबूझकर हत्या करने के मामले में दूसरा, वैश्विक गुलामी सूचकांक में चौथा, जी.डी.पी. ग्रोथ रेट में 9वां, प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. में 122वां, आयात में 11वां, निर्यात में 18वां, विदेशी निवेश प्राप्त करने में 19वां, अरबपतियों की संख्या में तीसरा, न्यूनतम मजदूरी में 64वां, रोजगार दर में 42वां,  क्वालिटी ऑफ लाइफ में 43वां, वैश्विक नवाचार में 52वां, इंटरनैट प्रयोग में 141वां, पुरुषों के फुटबॉल के खेल में 104वां, ओलिम्पिक गोल्ड मैडल में 48वां, फिल्म निर्माण में पहला, भ्रष्टाचार में 78वां, डैमोक्रेसी इंडैक्स में 42वां, नोबेल पुरस्कार में 24वां, हवा की गुणवत्ता में 84वां, वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक में 14वां स्थान है। 

आंकड़ों की आपसी विषमता, यहां तक कि जमीनी आवश्यकताओं की पू्र्ति में आज भी संघर्षरत एवं सामाजिक, आर्थिक मुद्दों पर पिछड़ेपन की मुख्य वजह जनसंख्या विस्फोट का होना है। किसी भी देश के लिए जनसंख्या का महत्व तभी है जबकि उनके लिए जमीनी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हों और उन्हें सही मार्ग में प्रेरित कर उत्पादक कार्य करवाया जा सके जिससे देश के विकास के साथ-साथ उनकी स्वयं की जीवनशैली भी बेहतर हो सके। परन्तु भारत में इसका व्यापक अभाव दिख रहा है। 

एक बड़ी आबादी औसत दर्जे से नीचे का जीवन-यापन कर रही है। कई कारणों में से एक कारण अधिक जनसंख्या भी है जिसके लिए सरकार निजी क्षेत्र को मुख्य भूमिका में लाने के लिए मजबूरन कार्य कर रही है। पड़ोसी देश चीन से भी हमने सबक नहीं लिया जब चीन ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाए, यहां तक कि तीसरे बच्चे के पैदा होने पर सरकार उस बच्चे की परवरिश करती थी बिना माता-पिता को बताए, कई कटौतियां और कठोर दंड देकर चीन ने अपने आप को जनसंख्या के मामले में बेहतर किया है। विश्व की कुल जनसंख्या का हम 18 प्रतिशत हैं, संख्या में दूसरे स्थान पर और जीवन जीने के लिए जरूरी संसाधन इस अनुपात से नाममात्र के। देश के विकास में कई बाधाओं से बड़ी बाधा जनसंख्या वृद्धि रही है जिसको नियंत्रित किया जाना अत्यंत जरूरी है। 

भारतीय संविधान की लगभग 20 प्रतिशत मूल बातें आज भी देश में लागू नहीं की गई हैं। लगभग 125 बार हुए संशोधनों में 80 बार संशोधन जनता की मांग पर हुए हैं। यहां तक कि कई बड़े न्यायालयी निर्णय भी जनता की मांग पर बदले गए। परन्तु दुर्भाग्य यह है कि जनता द्वारा कभी भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात किसी भी मंच पर नहीं की जाती है। 

सरकार भी इस बात को महसूस कर रही है तभी तो देश के आदरणीय प्रधानमंत्री जी लाल किले से जनसंख्या की बात को सामने ले आए हैं। विभिन्न संगठनों, आम जनता के अलावा राज्य सरकारें भी वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने के लिए सहयोग कर सकती हैं क्योंकि जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उसके लिए कठोर कानून की अत्यंत आवश्यकता है।-डा. अजय कुमार मिश्रा      

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