क्या मोदी समय पूर्व आम चुनाव करवाने का जोखिम उठाएंगे

Edited By Pardeep,Updated: 27 May, 2018 03:43 AM

will modi take the risk of making general elections in the past

कर्नाटक के ताजा घटनाक्रमों के बाद क्या हम यह अनुमान लगाने के लिए बेहतर स्थिति में हैं कि राष्ट्रीय चुनाव कब होने चाहिएं? क्या कर्नाटक का अनुभव कोई स्पष्ट संकेत प्रस्तुत करता है? या फिर इसने इस प्रश्न का उत्तर देना और भी अधिक मुश्किल बना दिया...

कर्नाटक के ताजा घटनाक्रमों के बाद क्या हम यह अनुमान लगाने के लिए बेहतर स्थिति में हैं कि राष्ट्रीय चुनाव कब होने चाहिएं? क्या कर्नाटक का अनुभव कोई स्पष्ट संकेत प्रस्तुत करता है? या फिर इसने इस प्रश्न का उत्तर देना और भी अधिक मुश्किल बना दिया है? 

सत्ता युद्ध के इस दौर में भाजपा के पराजित होने और विपक्षियों के जीत जाने के बावजूद कर्नाटक चुनाव के दो परिणाम अकाट्य दिखाई देते हैं। पहला, नरेन्द्र मोदी ने दिखा दिया है कि एक अभियानकत्र्ता के रूप में वह न केवल अपराजेय, बल्कि अतुलनीय भी हैं। उन्होंने सिद्ध कर दिया है कि उत्तर से दक्षिण और पूर्वोत्तर से पश्चिम तक, भारत के केन्द्र में तथा अब सुदूर दक्षिण में भी लोग उनकी बात सुनते हैं। केवल पूर्वी भारत में ही उनके जलवे का असर होना बाकी है। 

दूसरी बात यह है कि छोटे से मिजोरम प्रांत को छोड़कर कांग्रेस बहुत खतरनाक हद तक मोदी का ‘पी.पी.पी.’ ‘पंजाब, पुड्डुचेरी व परिवार’ का उलाहना सत्य सिद्ध करने के करीब पहुंच गई है। बेशक कर्नाटक में यह सत्ता में रहेगी तो भी राहुल का मोदी से कोई मुकाबला नहीं किया जा सकता और बहुत कम लोग मेरी इस बात से असहमत होंगे। अब इस पृष्ठभूमि के मद्देनजर क्या अकाट्य ढंग से दावा किया जा सकता है कि मोदी चालू वर्ष के दिसम्बर में ही राष्ट्रीय चुनाव समय से पूर्व करवा सकते हैं? मैं कहूंगा हां। और इसके तीन कारण हैं। 

पहला, यदि कांग्रेस राजस्थान और संभवत: मध्य प्रदेश में जीत जाती है और राष्ट्रीय चुनाव मई 2019 तक नहीं करवाए जाते तो राजस्थान और मध्य प्रदेश में सत्ता छिनने के फलस्वरूप कमजोर हुई भाजपा को इन चुनावों में उतरना पड़ेगा। क्या प्रधानमंत्री निश्चय ही इस स्थिति को टालना नहीं चाहेंगे? दिसम्बर में कई राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के साथ ही राष्ट्रीय चुनाव करवाना ही इस संबंध में सबसे प्रभावी कदम होगा। 

दूसरा (जोकि पहली दलील से जुड़ा हुआ है), कर्नाटक में सत्तासीन होने के बावजूद तथ्य यह है कि कांग्रेस पार्टी ‘चढ़दी कला’ में नहीं है। लेकिन राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव जीतने के बाद इसमें निश्चय ही नई जान आ जाएगी और इसके कार्यकत्र्ताओं के हौसले बुलंद होंगे। इसलिए क्या मोदी के लिए यह समझदारी की बात नहीं होगी कि राष्ट्रीय चुनाव तब करवाए जाएं जब कांग्रेस अभी मजबूत और आशावादी महसूस करने की बजाय दुबकी हुई स्थिति में है? तीसरा, नरेन्द्र मोदी खतरों के खिलाड़ी हैं और गुजरात तथा कर्नाटक में जिस प्रकार उन्होंने युद्धस्तर पर चुनावी अभियान चलाया था, उसने यह दिखा दिया है कि ऐसे जुए के नतीजे कितने विश्वसनीय सिद्ध हुए हैं, बेशक उस समय बहुत से लोगों को ऐसा लगा था कि मोदी बिना वजह ही जोखिम उठा रहे हैं। अब जब उनका प्रधानमंत्रित्व दाव पर लगा हुआ है तो क्या वह समय पूर्व चुनाव करवाने का जोखिम उठाने का इरादा रखते हैं? उनका आत्मविश्वास इतना प्रबल है कि इस प्रश्न का उत्तर ‘न’ में देना कठिन है। 

तो फिर ऐसे कौन से कारक हैं, जिनके कारण मोदी के कदम ठिठक सकते हैं? और उन्हें यह आभास हो सकता है कि समय पूर्व चुनाव का निर्णय अच्छा नहीं होगा? मैं केवल दो कारणों के बारे में सोच सकता हूं। पहला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने 2004 में समयपूर्व चुनाव करवाए थे, तो इनके फलस्वरूप भाजपा को आश्चर्यजनक ढंग से पराजय झेलनी पड़ी थी। अगले 10 वर्षों तक पार्टी विपक्ष की कुर्सियों पर ही सुशोभित रही। क्या उस फैसले की केतु छाया आज भी भाजपा पर पड़ेगी? क्या इसके मद्देनजर मोदी पर वह लोकोक्ति सही सिद्ध होगी कि ‘‘दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है?’’ हममें से कोई भी दावे से इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकता। 

दूसरी ठिठकन का उद्भव इस मान्यता में से होता है कि कर्नाटक चुनाव ने विपक्ष को यह सिखा दिया है कि भाजपा को हराने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। लेकिन यदि कांग्रेस दिसम्बर में अलग तरह का व्यवहार करती है तो राजस्थान और मध्यप्रदेश विपक्ष में पैदा हो रही इस नवजात संवेदना का गला घोंट सकते हैं। उस स्थिति में तो मोदी मई 2019 में चुनाव करवा कर भी लाभ में रहेंगे। सौ बात की एक बात यह है कि मोदी दिलेरी भरे निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। इस तथ्य में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं। मुझे यूं लगता है कि दिसम्बर में चुनाव करवाने का मोह त्याग पाना मोदी के लिए शायद संभव नहीं होगा।-करण थापर

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!