13 राज्यों ने GST संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए केंद्र को कर्ज के विकल्प सौंपे

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Sep, 2020 11:39 AM

13 states handed over loan options to the center to meet gst

जीएसटी संग्रह में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए कुल 13 राज्यों ने केंद्र को कर्ज लेने के विकल्प सौंपे हैं। ये राज्य भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं जो विभिन्न मुद्दों पर केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं। इन 13 राज्यों में बिहार, ओड़िशा,

नई दिल्लीः जीएसटी संग्रह में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए कुल 13 राज्यों ने केंद्र को कर्ज लेने के विकल्प सौंपे हैं। ये राज्य भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं जो विभिन्न मुद्दों पर केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं। इन 13 राज्यों में बिहार, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और मेघालय शामिल हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इसके अलावा छह राज्यों गोवा, असम, अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश एक-दो दिन में अपने विकल्प दे देंगे। 

चालू वित्त वर्ष में राज्यों को माल एवं सेवा (जीएसटी) संग्रह में 2.35 करोड़ रुपए के राजस्व कमी का अनुमान है। केंद्र के आकलन के अनुसार करीब 97,000 करोड़ रुपए जीएसटी क्रियान्वयन के कारण है जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की वजह कोविड-19 है। इस महामारी के कारण राज्यों के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है। केंद्र ने पिछले महीने राज्यों को दो विकल्प दिए थे। इसके तहत 97,000 करोड़ रुपए रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली विशेष सुविधा से या पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपए बाजार से लेने का विकल्प दिया गया था। साथ ही आरामदायक और समाज के नजरिए से अहितकर वस्तुओं पर 2022 के बाद भी उपकर लगाने का प्रस्ताव किया गया था। कुल 13 राज्यों में से 12 ने आरबीआई द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली विशेष सुविधा से कर्ज लेने का विकल्प चुना था। 

ये राज्य आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मेघालय, सिक्कम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और ओड़िशा हैं। अबतक केवल मणिपुर ने बाजार से कर्ज लेने का विकल्प चुना है। हालांकि गैर-भाजपा शासित राज्य जीएसटी राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये कर्ज के विकल्प का विरोध कर रहे हैं। छह गैर-भाजपा शासित राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने केंद्र को पत्र लिखकर विकल्पों का विरोध किया है जिसके तहत राज्यों को कमी को पूरा करने के लिए कर्ज लेने की जरूरत होगी।

सूत्रों के अनुसार कुछ राज्यों ने कोई विकल्प का चयन किए बिना जीएसटी परिषद के चेयरपर्सन को अपने विचार दिए हैं। उन्होंने अबतक विकल्प पर निर्णय नहीं किया है। जीएसटी परिषद की 27 अगस्त, 2020 को हुई 41वीं बैठक में राज्यों को कर्ज लेने के दो विकल्प दिए गए ताकि वे वित्त मंत्रालय के समर्थन से एक ही ब्याज दर पर आरबीआई की विशेष सुविधा के जरिए ऋण लेकर राजस्व में कमी की भरपाई को पूरा कर सके। 
 

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