Edited By Supreet Kaur,Updated: 24 May, 2018 11:15 AM
पर्यावरण को सुरक्षित रखने और नेचुरल रिसोर्सेस का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए शहरों में ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट को प्रमोट किया जा रहा है। इस तरह की बिल्डिंग के जरिए बढ़ते प्रदूषण और बिजली की खपत को कम करने की कोशिश की जा रही है। ग्रीन बिल्डिंग...
नई दिल्लीः पर्यावरण को सुरक्षित रखने और नेचुरल रिसोर्सेस का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए शहरों में ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट को प्रमोट किया जा रहा है। इस तरह की बिल्डिंग के जरिए बढ़ते प्रदूषण और बिजली की खपत को कम करने की कोशिश की जा रही है। ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट पर बिल्डिंग की डिजाइन का नया ट्रेंड शुरू हो गया है। इस तरह की बिल्डिंग को तैयार करने में दूसरी बिल्डिंग की तुलना 3 से 4 फीसदी एक्सट्रा खर्च होता है पर इससे होने वाले फायदों में यह कीमत 2 से 3 वर्ष में ही वसूल हो जाती है।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी का रीयूज
ग्रीन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स में सबसे ज्यादा पानी की बचत होती है। ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की जाती है। वहीं से लेकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ड्यूल फ्लश लाइन का यूज किया जाता है। इसके तहत फ्लश में इस्तेमाल पानी को ट्रीटमेंट के बाद वापस फ्लश और दूसरे छोटे कामों के लिए किया जा सकता है। बिल्डिंग में यूज होने वाले पानी को रिसाइकल कर उसे वापस उपयोग में ले सकते हैं।
मिलेगी सूर्य की रोशनी
गवर्नमेंट प्रोजेक्ट्स के साथ लोग ऑफिस और घर को ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट के तहत डिजाइन करवा रहे हैं। ऐसी बिल्डिंग्स को सोलर पाथ को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाता है। सन लाइट का यूज ऐसे होता है कि घर में प्रकाश तो मिले पर उसका तापमान ना बढ़े। इससे दिन में लाइट्स जलाने की जरूरत कम पड़ती है साथ ही एयर कंडीशनर की खपत भी कम होती है। इस तरह से बड़ी मात्रा में बिजली की बचत होती है।