Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Sep, 2018 02:35 PM
बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) के विजया बैंक और देना बैंक के साथ विलय का प्रस्ताव सरकार की बैंकिंग क्षेत्र में कड़े सुधार की राह पर आगे बढऩे की मंशा को दर्शाता है। फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को यह बात कही।
नई दिल्लीः बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) के विजया बैंक और देना बैंक के साथ विलय का प्रस्ताव सरकार की बैंकिंग क्षेत्र में कड़े सुधार की राह पर आगे बढऩे की मंशा को दर्शाता है। फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को यह बात कही। पिछले हफ्ते सरकार ने बीओबी का मध्यम आकार के दो सरकारी बैंक विजया बैंक और देना बैंक में विलय करने की घोषणा की थी। विलय के बाद यह देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। तीनों बैंकों के निदेशक मंडल इस प्रस्ताव पर आगे बढऩे की मंजूरी देने के लिए अलग-अलग बैठक करेंगे।
फिच ने अपने नोट में कहा कि बैंकों का एकीकरण सरकार की छोटे और कमजोर बैंकों से निपटने की रणनीति का हिस्सा है। यह बैंकिंग प्रणाली को बेहतर स्थिति में लाएगा जो तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में सहायक हो। फिच रेटिंग्स ने कहा, ‘‘भारत सरकार का बीओबी का दो मध्यम आकार के सरकारी बैंकों के साथ विलय का प्रस्ताव, उसकी सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली में कड़े सुधार लाने की इच्छाशक्ति को दिखाता है।’’
संभावना है कि बैंक ऑफ बड़ौदा में दोनों बैंकों विलय हो जाए और उसके बाद यह देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। इससे वह आईसीआईसीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक को पीछे छोड़ देगा। हालांकि परिसंपत्तियों के मामले में वह भारतीय स्टेट बैंक और एचडीएफसी बैंक से पीछे ही रहेगा। फिच ले कहा कि भविष्य के एकीकरण के लिए बीओबी का प्रस्तावित विलय एक प्रयोग होगा। इस विलय में कई तरह की जटिलताए हैं जो हाल में भारतीय स्टेट बैंक और उसके 5 सहयोगी बैंक एवं भारतीय महिला बैंक के साथ हुए विलय से अलग है।
उल्लेखनीय है कि देश में मौजूद 21 सरकारी बैंकों में से 11 भारतीय रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई प्रणाली के दायरे में है। इसकी अहम वजह इन बैंकों का बढ़ता फंसा कर्ज, लाभ के स्तर पर बुरा प्रदर्शन और पूंजी का पर्याप्त स्तर से कम होना है।