ब्रांडेड फूडग्रेन्स खाएंगे तो चुकाने होंगे ज्यादा दाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 09:40 AM

branded foodgrains shall be liable to pay a higher price

अगर आप किसी ब्रांड का आटा, चावल, दाल, चीनी, मसाले या अन्य किसी खाद्य वस्तुओं...

नई दिल्ली: अगर आप किसी ब्रांड का आटा, चावल, दाल, चीनी, मसाले या अन्य किसी खाद्य वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं तो 1 जुलाई से आपके किचन का बजट बिगड़ सकता है। जी.एस.टी. लागू होने के बाद ब्रांडेड फूडग्रेन्स पर 5 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा यानी ज्यादा दाम चुकाने पड़ेंगे। जी.एस.टी. के रोलबैक का कोई सवाल ही नहीं है।

सरकार का मानना है कि ऐसे ब्रांडेड प्रोडक्ट जिनके पास ट्रेडमार्क है और जिनके वैल्यू एडिशन और विज्ञापन पर मोटी रकम खर्च की जा रही है, उस पर जी.एस.टी. लगाना जरूरी है। हालांकि, सरकार ने एग्रो कमोडिटी और अनाज पर टैक्स नहीं लगाया है और यह भी कहा है कि खुला आटा, चीनी, चावल खरीदने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इधर, कम्पनियों का कहना है कि उनका प्रॉफिट मार्जिन लगातार कम हो रहा है, ऐसे में जी.एस.टी. का भार वे सहन नहीं करेंगे। ग्राहकों पर इसका भार डालना ही होगा।
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सरकार का तर्क
रैवेन्यू सैक्रेटरी हंसमुख अधिया का कहना है कि सामान्य गेहूं जो बाजार में बिकता है उसकी तुलना में ब्रांडेड गेहूं पहले ही 25 से 30 प्रतिशत प्रीमियम पर बिक रहा है। सरकार ने नॉर्मल गेहूं पर टैक्स नहीं लगाया है। अब यह कारोबारियों पर निर्भर करता है कि वे ये टैक्स कंज्यूमर को पास करेंगे या अपना प्रॉफिट मार्जिन घटाएंगे। अधिया के अनुसार ब्रांडेड का मतलब है, जिसके पास ट्रेडमार्क है। जिन कारोबारियों ने रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क लिया है, वे अपने ट्रेडमार्क को बचाने के अलावा वैल्यू एडिशन कर रहे हैं। ऐसे में उन पर जी.एस.टी. लगाने का फैसला किया गया है।

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