बजट में विवाद निपटारे पर जोर दिया जाए: सीआईआई

Edited By ,Updated: 30 Jan, 2017 12:20 PM

budget should take measures to minimise litigations resolution

भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) ने आम बजट 2017-18 में विवादों के निपटारे के लिए सरल तथा प्रभावी तरीके को अपनाने की मांग करते हुए कहा कि इससे कर प्रणाली को मजबूती मिलेगी और विवादों तथा बेकार के कानूनी पचड़े को कम किया जा सकेगा।

नई दिल्लीः भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) ने आम बजट 2017-18 में विवादों के निपटारे के लिए सरल तथा प्रभावी तरीके को अपनाने की मांग करते हुए कहा कि इससे कर प्रणाली को मजबूती मिलेगी और विवादों तथा बेकार के कानूनी पचड़े को कम किया जा सकेगा।  

कर नियमों की अनुपालना में बेहतरी लाने के लिए विवादमुक्त एक आम, स्पष्ट तथा कानूनी पचड़े से मुक्त कर प्रणाली जरूरी है। ऐसे माहौल में कर संबंधी विवाद में फंसे संसाधनों के आवंटन में आसानी होगी जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।  सी.आई.आई. के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी से कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि सरकार ने प्रशंसनीय पहल करते हुए व्यर्थ के कानूनो की संख्या को कम करने के लिए स्पष्ट प्रावधान किए हैं। 

हालांकि,प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर दोनों क्षेत्रों में विवाद निपटारे के तरीके को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में विवाद निपटारे के पैनल को मजबूत करना जरूरी है कि क्योंकि ये पैनल स्वतंत्र रुप से काम नहीं कर रहे और लगभग हर विवाद को न्यायाधिकरण के समक्ष ले जाना पड़ता है। आगामी बजट में इन पैनलों के मौजूदा प्रावधानों में संशोधन करना चाहिए और आईटीएटी से कम से कम एक व्यक्ति (सेवानिवृत्त) को बतौर सदस्य इसमें शामिल करना चाहिए।  

अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र के लिए सी.आई.आई. ने ऑथरिटी फॉर एडवांस रुलिंग (एएआर) के द्वारा आर्डर जारी करने की समयसीमा का सही तरीके से पालन करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे कई मामले लंबित हो जाते हैं। एएआर का उद्देश्य विवादों को तत्काल निपटारा करना है और इसके लिए एक प्रावधान बनाना जरूरी है कि सिर्फ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देने से किसी करदाता एएआर का दरवाजा खटखटाने से नहीं रोका जा सकता है।   

परिसंघ ने बजट में जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर और इटली जैसे देशों के करदाताओं के लिए द्विपक्षीय एडवांस प्राइसिंग एग्रीमेंट को लेकर स्पष्टीकरण जारी करने की सिफारिश की है। उसने अपीलीय स्तर पर लंबित मामलों कीे बढ़ते दर को देखते हुए समीक्षा की जरूरत पर बल दिया क्योंकि इसके लिए सीमित अवधि के लिए बनाई गई योजना अप्रत्यक्ष कर विवाद निपटारा योजना 2016 असफल साबित हुई है। सीआईआई ने इस योजना को सरल करके दोबारा शुरू करने की सलाह दी है।

सीआईआई ने कहा कि उद्योग जगत को उम्मीद है कि सरकार बहुत अच्छा बजट पेश करेगी जिसमें कानूनी पचड़े को कम करने तथा विवाद निपटारे के लिए सरल तरीके शामिल होंगे। 

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