इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार उत्पादों के आयात में चीन, हांगकांग की 56% हिस्सेदारी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 May, 2024 06:23 PM

china hong kong have 56 share in imports of electronics telecom products

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और इलेक्ट्रिकल उत्पादों का आयात 2023-24 में बढ़कर 89.8 अरब डॉलर हो गया जिनमें से आधे से अधिक आयात चीन और हांगकांग से होता है। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। 'ग्लोबल ट्रेड रिसर्च...

नई दिल्लीः भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और इलेक्ट्रिकल उत्पादों का आयात 2023-24 में बढ़कर 89.8 अरब डॉलर हो गया जिनमें से आधे से अधिक आयात चीन और हांगकांग से होता है। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। 'ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव' (जीटीआरआई) ने इस रिपोर्ट में कहा है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और इलेक्ट्रिकल क्षेत्र के कुल आयात में सर्वाधिक 43.9 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की है। 

रिपोर्ट के अनुसार, चीन और हांगकांग पर इन उत्पादों के मामले में गहरी निर्भरता दिखती है और यह पिछले कुछ साल में नाटकीय रूप से बढ़ी है। इसके मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं दूरसंचार आयात के मामले में चीन और हांगकांग पर निर्भरता को कम करना जरूरी है। यह न केवल आर्थिक लचीलापन बढ़ाने के लिए बल्कि तेजी से परस्पर जुड़ती जा रही दुनिया में भारत की डिजिटल और तकनीकी संप्रभुता की रक्षा के लिए भी जरूरी है। 

रिपोर्ट कहती है, “ये क्षेत्र लाखों लोगों के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग हैं। हालांकि चीन से आयात पर भारत की अत्यधिक निर्भरता देश की रणनीतिक स्वायत्तता और आर्थिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करती है।” जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि चीन पर अधिक निर्भरता भारत की आपूर्ति श्रृंखला के भीतर गंभीर खामियां उजागर करती है और स्रोतों के रणनीतिक विविधीकरण और घरेलू उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की तत्काल जरूरत को दर्शाती है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, कंप्यूटर से लेकर स्मार्टफोन तक तमाम इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले ‘इंटीग्रेटेड सर्किट' (आईसी) का आयात 2020-2022 में बढ़कर 4.2 अरब डॉलर हो गया है जो 2007-2010 के दौरान 16.61 करोड़ डॉलर ही था। इसी तरह, फोन और अन्य वायरलेस उपकरणों सहित संचार उपकरणों के आयात में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह बढ़कर 3.69 अरब डॉलर हो गया है और आधे से अधिक बाजार पर अब चीन का दबदबा है।
 

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