Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Nov, 2025 02:52 PM

इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन में वृद्धि और मॉड्यूलर बुनियादी ढांचे में वृद्धि, विनिर्माताओं को मजबूत संरचनात्मक प्रदर्शन और निर्माण के समय कम अपशिष्ट के लिए ‘मेटल कोल्ड-रोल फॉर्मिंग' को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। एक उद्योग विशेषज्ञ ने यह बात कही।...
नई दिल्लीः इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन में वृद्धि और मॉड्यूलर बुनियादी ढांचे में वृद्धि, विनिर्माताओं को मजबूत संरचनात्मक प्रदर्शन और निर्माण के समय कम अपशिष्ट के लिए ‘मेटल कोल्ड-रोल फॉर्मिंग' को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। एक उद्योग विशेषज्ञ ने यह बात कही। ‘मेटल कोल्ड-रोल फॉर्मिंग' एक विनिर्माण प्रक्रिया है जिसमें धातु की पट्टी को बिना गर्म किए कमरे के तापमान पर कई ‘रोलर' की सहायता से मोड़ते हुए वांछित ‘प्रोफाइल' (आकार) में ढाला जाता है। इनमें बेहतर ‘मैकेनिकल' मजबूती होती है। यह प्रक्रिया ‘स्क्रैप' तथा ‘रीवर्क' की आवश्यकता को कम करते हुए संरचनात्मक अखंडता (स्ट्रक्चरल इंटीग्रिटी) को बढ़ाती है।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि कोल्ड-रोल-निर्मित शीट धातु घटकों की मांग में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों के विनिर्माता हल्के, मजबूत और अधिक मॉड्यूलर असेंबली-संचालित उत्पादन विधियों की ओर बढ़ रहे हैं। मदर इंडिया फॉर्मिंग के निदेशक धीरेंद्र सांखला ने कहा, ‘‘ भारत एक ऐसे चरण में प्रवेश कर रहा है जहां घटक विनिर्माण में सटीकता, विश्वसनीयता एवं व्यापकता अब विभेदक नहीं बल्कि मूलभूत अपेक्षाएं हैं। ‘शीट-मेटल कोल्ड रोल फॉर्मिंग' हमें नवीकरणीय ऊर्जा, परिवहन, निर्माण उपकरण, लिफ्ट सिस्टम, एचवीएसी और औद्योगिक मशीनरी में इन आवश्यकताओं को लगातार पूरा करने में सक्षम बनाती है।''
मदर इंडिया फॉर्मिंग एक बेंगलुरु-आधारित विनिर्माता कंपनी है जो ‘रोल-फॉर्म्ड घटकों' में विशेषज्ञता रखती है। सांखला ने कहा, ‘‘ ‘शीट-मेटल कोल्ड-रोल फॉर्मिंग' में स्थायित्व अंतर्निहित है। उच्च कॉइल उपयोग, कम वेल्डिंग और कम प्रक्रिया चरणों का मतलब है कम अपशिष्ट और कम ऊर्जा खपत।'' देश ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान 12.4 गीगावाट की नई सौर क्षमता जोड़ी है जिससे ‘शीट-मेटल कोल्ड-रोल-फॉर्मिंग' परिशुद्ध घटकों का दायरा लगातार बढ़ने की संभावना है। उद्योग के अनुमान के अनुसार, 2025-26 के पहले छह महीनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 11 लाख इकाई का आंकड़ा पार कर गईं।
भारत का इंजीनियरिंग सामान निर्यात अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान 59.4 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो सटीक इंजीनियरिंग वाले धातु घटकों की मजबूत वैश्विक मांग को दर्शाता है। विशेषज्ञों ने कहा कि ‘शीट-मेटल कोल्ड-रोलिंग' को आपूर्ति श्रृंखलाओं में सटीक घटकों के लिए व्यापक रूप से अपनाए जाने की संभावना है। इससे घरेलू उत्पादन एवं वैश्विक निर्यात आवश्यकताओं दोनों को समर्थन मिलेगा, क्योंकि भारत ‘मेक इन इंडिया' और ‘आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को आगे बढ़ा रहा है।