Edited By Isha,Updated: 26 Dec, 2018 11:02 AM
पशुचारे के लिए मक्का खली की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत ही नहीं अन्य देशों से इसकी मांग में इजाफा हुआ है। इसी वजह से कई भारतीय कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार करने में लगी हैं। ईरान, इराक और सऊदी अरब तथा कुछ अन्य देशों से मक्का खली की
नई दिल्लीः पशुचारे के लिए मक्का खली की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत ही नहीं अन्य देशों से इसकी मांग में इजाफा हुआ है। इसी वजह से कई भारतीय कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार करने में लगी हैं। ईरान, इराक और सऊदी अरब तथा कुछ अन्य देशों से मक्का खली की निरंतर मांग आ रही है। राजस्थान के अलवर के मक्का तेल और मक्का खली के प्रमुख कारोबारी अर्पित गुप्ता ने बताया कि मक्का खली की मांग लगातार बढ़ रही है। मक्का खली का वर्ष 2016-17 में 250.35 टन का निर्यात हुआ था जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 350.18 टन हो गया।
चालू वित्त वर्ष में यह निर्यात 500 टन के स्तर को पार कर चुका है। अलवर की मक्का तेल विनिर्माता ‘सरिस्का’ के साझेदार गुप्ता ने कहा कि मक्का खली की बढ़ती मांग को देखते हुए हम अपने संयंत्र की उत्पादन क्षमता 500 टन से बढ़ाकर 1,000 टन प्रति माह करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश में मक्का खली की ज्यादातर मांग राजस्थान के सीकर, उदयपुर, बाड़मेर, बहरोड़, चौमू जैसे शहरों के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात तथा उत्तर भारत के अन्य स्थानों से आती है।
उन्होंने बताया कि मक्का खली में पानी सोखने की काफी क्षमता होती है और इसी वजह से दुधारू पशुपालक मूंगफली, बिनौला, सरसों के स्थान पर मक्का खली का चारे में रूप में अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका दावा है कि इससे उपयोग से दुधारू पशुओं से अधिक और बेहतर गुणवत्ता का दूध प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि मक्का खली कई पौष्टिक तत्वों और विटामिन ई से भरपूर है और मूंगफली की तुलना में इसमें तेल की मात्रा दोगुना होती है।