Edited By ,Updated: 09 Dec, 2016 12:08 PM
कैश न मिलने के कारण रियल एस्टेट सैक्टर के तमाम ऑनगोइंग प्रोजेक्ट्स का काम रुक गया है।
नई दिल्लीः कैश न मिलने के कारण रियल एस्टेट सैक्टर के तमाम ऑनगोइंग प्रोजेक्ट्स का काम रुक गया है। इससे लेबर क्राइसिस की स्थिति पैदा हो गई है, जिससे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पूरे होने में 3 से 6 महीने का समय और लग सकता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि नोटबंदी के असर को लेकर खरीदार हालात समझ रहे हैं और वे पहले की तरह सड़क पर नहीं उतरेंगे, क्योंकि हालात सामान्य होने के बाद रियल एस्टेट सैक्टर को इसका काफी लाभ मिलेगा।
सबसे ज्यादा प्रभाव लेबर पर
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के वेस्टर्न यूपी के सेक्रेट्री सुरेश गर्ग ने बताया कि नोटबंदी के बाद से कैश को लेकर दिक्कत हो रही है और इसका सबसे बड़ा प्रभाव लेबर पर पड़ा है। इसको देखते हुए कुछ डेवलपर्स प्रोजेक्ट साइट पर ही लेबर के खाने-पीने और डेली रूटीन की चीजों का इंतजाम कर रहे हैं, लेकिन सभी लेबर को रोकना आसान नहीं है। इसलिए बड़ी तादात में लेबर अपने गांव लौट गई है। इससे कंस्ट्रक्शन वर्क प्रभावित हो रहा है।
जल्द से जल्द कैश उपलब्ध कराए सरकार
उन्होंने कहा कि डिमोनिटाइजेशन को एक महीना हो चुका है। डेवपलर्स पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जितना हो सके, कंस्ट्रक्शन वर्क किया जाए, लेकिन हालात जल्द नहीं सुधरे तो दिक्कत बढ़ सकती है। गर्ग ने कहा कि अब तक जो स्थिति है, उसके मुताबिक प्रोजेक्ट्स तीन से चार माह लेट हो सकते हैं, लेकिन सरकार को जल्द से जल्द कैश उपलब्ध कराना होगा और करंट अकाउंट की लिमिट बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट सैक्टर पहले ही दबाव में था और अब सरकार को उन्हें विशेष राहत देनी चाहिए।
लागत पर पड़ेगा कम असर
डेवलपर्स मानते हैं कि प्रोजेक्ट्स डिले होने से प्रोजेक्ट की लागत पर लगभग 4 से 5 फीसदी तक का असर पड़ेगा, लेकिन वे इसके लिए बायर्स पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डालेंगे, जबकि स्टील, सीमेंट जैसे प्रोडक्ट्स को लेकर डेवलपर्स को कोई दिक्कत नहीं आएगी, इसलिए प्रोजेक्ट कीमत नहीं बढ़ेगी।