अमीरों को सब्सिडी का लाभ नहीं

Edited By ,Updated: 22 Mar, 2016 10:25 AM

dharmendra pradhan lpg

समाज के संपन्न वर्ग को सब्सिडी के दायरे से बाहर करने की सरकार की कोशिश जोर पकड़ रही है क्योंकि अब 10 लाख रुपए से

नई दिल्लीः समाज के संपन्न वर्ग को सब्सिडी के दायरे से बाहर करने की सरकार की कोशिश जोर पकड़ रही है क्योंकि अब 10 लाख रुपए से अधिक सालाना कमाई वालों को तलाशकर उनकी सब्सिडी खत्म की जा रही है। अभी तक सरकार ने 10 लाख रुपए सालाना से ज्यादा कमाने वालों को इसका खुलासा खुद करने के लिए कहा था लेकिन अब वह आयकर विभाग के ब्यौरे का इस्तेमाल कर ऐसे रसोई गैस उपभोक्ताओं को तलाश रही है। पैट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि अधिक संपन्न इलाकों तथा बड़े और मझोले शहरों में यह कवायद पहले शुरू की गई है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने ज्यादा कमाई वाले लोगों से ज्यादा कर वसूलने के तमाम उपाय शुरू कर दिए हैं। पिछले महीने आई आर्थिक समीक्षा में बताया गया था कि कैरोसिन, रेलवे, बिजली, रसोई गैस, सोने और विमान ईंधन के मद में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी संपन्न परिवारों के पास चली जा रही है। इससे सरकार को चूना लगता है और असली हकदार वंचित रह जाते हैं। इस बार के बजट में भी धनाढ्य व्यक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवारों तथा कंपनियों को लाभांश के जरिए 10 लाख रुपए से अधिक कमाई होने पर अलग से 10 फीसदी लाभांश कर लगाने का ऐलान किया गया है। सालाना 1 करोड़ रुपए से अधिक कमाने वालों पर आयकर अधिभार 12 के बजाय 15 फीसदी कर दिया गया।

सरकार ने 28 दिसंबर, 2015 को निर्णय किया था कि उनको रसोई गैस सब्सिडी नहीं मिलेगी, जिनकी पिछले वित्त वर्ष में अकेले या जीवनसाथी के साथ मिलकर 10 लाख रुपए सालाना या अधिक की कर योग्य आय थी। जनवरी 2016 से सिलैंडर की बुकिंग के समय खुद ही इसका खुलासा करने के लिए कहा गया था। प्रधान ने कहा कि आय के खुलासे को अब अनिवार्य किया जा रहा है और 10 लाख रुपए सालाना से कम कमाई वालों को ही सब्सिडी मिलेगी। उन्होंने बताया कि सरकार बड़े और मझोले शहरों में उपभोक्ताओं से आय का हलफनामा देने को कह रही है। 

अधिकारियों ने बताया कि तेल मार्कीटिंग कंपनियां पैट्रोलियम मंत्रालय के मार्फत अपने आंकड़े आयकर विभाग को दे चुकी हैं। विभाग ने आंकड़ों की जांच की और उन लोगों के नाम बता दिए, जो सालाना 10 लाख रुपए से ज्यादा कमा रहे हैं। महीने भर चली इस कवायद के बाद करीब 3 लाख लोगों की पहचान की गई है और एस.एम.एस. भेजकर उन्हें अपनी आय का खुलासा करने के लिए कहा गया है। 10 लाख से ज्यादा लोग अपनी इच्छा से ही इसका खुलासा कर चुके हैं।

जानकारी के मुताबिक देश में करीब 2.9 करोड़ आयकर दाता हैं। इनमें से करीब 20 लाख की सालाना आय 10 लाख रुपए से ज्यादा है। अधिकारी कहते हैं कि जब 90 लाख लोग अपनी मर्जी से सब्सिडी छोड़ चुके हैं तो इन 20 लाख के लिए सब्सिडी लेने की क्या तुक है? संपन्न इलाकों में एल.पी.जी. उपभोक्ताओं और गिवइटअप उपभोक्ताओं की सूची मिलाने पर मंत्रालय को पता चला कि 10 लाख रुपए से अधिक आय वाले 3 फीसदी लोगों ने ही सब्सिडी छोड़ी है। यही वजह है कि हलफनामे के जरिए सब्सिडी छुड़वाने की योजना बनाई गई है। फिलहाल 16.35 करोड़ रसोई गैस उपभोक्ता हैं और सरकार 14.78 करोड़ उपभोक्ताओं के बैंक खातों में सब्सिडी सीधे भेज रही है।

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