Edited By Supreet Kaur,Updated: 25 Aug, 2018 12:45 PM
नए वित्त वर्ष का आगाज बेहद शानदार होने वाला है। जनवरी-मार्च तिमाही में 7.7 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ के बाद एक बाद फिर से मजबूत तिमाही देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मैन्युफैक्चरिंग और खेती के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारतीय...
नई दिल्लीः नए वित्त वर्ष का आगाज बेहद शानदार होने वाला है। जनवरी-मार्च तिमाही में 7.7 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ के बाद एक बाद फिर से मजबूत तिमाही देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मैन्युफैक्चरिंग और खेती के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.5 फीसदी से 7.7 फीसदी की विकास दर हासिल की होगी।
अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अर्थव्यवस्था के रफ्तार पकड़ने से सरकार को थोड़ी राहत मिलेगी जिसकी आर्थिक उपलब्धियों की तुलना + पूर्ववर्ती यूपीएस सरकार की उपलब्धियों से की जा रही है। दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था को अनुकूल परिस्थितियों से भी मदद मिल रही है। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5.6 फीसदी तक गिर गई थी। उसकी वजह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से पैदा हुई मुश्किलें और नोटबंदी के आंशिक असर भी हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में वित्त वर्ष 2016-17 में 7.1 फीसदी से घटकर 6.7 फीसदी रह गया था। अब भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2018-19 में 7.4 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ रहेगी।
जीडीपी ग्रोथ के मजबूत आंकड़े का असर आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा पर भी पड़ेगी जिसके लिए बैठक अगले 3 से 5 अक्टूबर हो होनी है। इस वर्ष अप्रैल से जून के दरम्यान देश का औद्योगिक उत्पादन 5.2 फीसदी बढ़ा है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ का आंकड़ा 5.2 फीसदी रहा जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही में महज 1.6 फीसदी रहा था।