‘बिना बिके मकानों के अनुमानित किराए पर कर छूट से केवल बड़े शहरों के डेवलपरों को फायदा’

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Feb, 2019 11:49 AM

exempted rental tax on unskilled houses only benefits the developers

कमजोर मांग के चलते छह से सात लाख बिना बिके मकानों के अनुमानित किराए पर लगने वाले कर से राहत बढ़ाकर दो साल किए जाने पर रियल्टी क्षेत्र के डेवलपरों ने राहत की सांस ली है। रियल्टी क्षेत्र लंबे समय से नकदी के संकट से जुझ रहा है।

नई दिल्लीः कमजोर मांग के चलते छह से सात लाख बिना बिके मकानों के अनुमानित किराए पर लगने वाले कर से राहत बढ़ाकर दो साल किए जाने पर रियल्टी क्षेत्र के डेवलपरों ने राहत की सांस ली है। रियल्टी क्षेत्र लंबे समय से नकदी के संकट से जुझ रहा है। हालांकि उनका मानना है कि इस छूट का ज्यादातर लाभ सात-आठ बड़े शहरों के डेवलपरों को होगा। डेवलपरों और संपत्ति सलाहकारों का मानना है कि अंतरिम बजट के इस प्रस्ताव का लाभ अधिकतर दिल्ली-एनसीआर और मुंबई मेट्रोपोलिटन क्षेत्र जैसे सात-आठ बड़े शहरों के डेवलपरों को होगा, क्योंकि सबसे ज्यादा बिना बिके मकान इन्हीं शहरों में मौजूद है।

वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने गैर-बिके मकानों पर अनुमानित किराए पर लगने वाले कर से मिलने वाली छूट को एक साल से बढ़ाकर दो साल करने का प्रस्ताव किया है। इसकी गणना परियोजना खत्म होने वाले साल के अंत से की जाएगी। इस प्रस्ताव पर एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘‘यह एक स्वागत योग्य कदम है और इससे आवासीय क्षेत्र को फायदा होगा। मौजूदा समय में देश के शीर्ष सात शहरों में 6.73 लाख बिना बिके मकान हैं। इसमें दिल्ली-एनसीआर में 1,86,710 और मु्ंबई क्षेत्र में 2,19,490 मकान बचे हुए हैं।

मोतीलाल ओसवाल रियल एस्टेट फंड के प्रमुख शरद मित्तल ने कहा कि डेवलपरों के लिए यह एक बड़ी राहत है। इससे उन्हें अपने बिना बिके मकानों को बाजार में बेचने के लिए और अधिक समय मिलेगा। महागुन के निदेशक धीरज जैन के अनुसार यह डेवलपरों के लिए एक राहत भरा कदम है। सुमधुरा समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मधूसूदन जी ने कहा कि यह प्रस्ताव ‘आंशिक राहत’ देने वाला है। इसके अलावा रियल्टी डेवलपरों ने कहा कि दूसरे घर की खरीद पर प्रोत्साहन और पांच लाख रुपए तक की कर योग्य आय को आयकर से छूट देने के प्रस्ताव पर भी खुशी जाहिर की। 

सेंचुरी रियल एस्टेट के प्रबंध निदेशक रविंद्र पई ने कहा, ‘‘यह बजट मुख्य तौर से मध्यवर्ग पर केंद्रित है। मुझे उम्मीद है कि इस अतिरिक्त खर्च योग्य आय के बढऩे से रियल एस्टेट क्षेत्र में खरीदारी बढ़ेगी और इससे क्षेत्र में मांग बढ़ेगी।’’ गौर्स के प्रबंध निदेशक मनोज गौर और गुलशन होम्ज के निदेशक दीपक कुमार ने कहा कि पांच लाख रुपए तक की कर योग्य आय पर पूर्ण कर छूट देने के प्रस्ताव से लोगों की क्रयशक्ति बढ़ेगी और अब हो सकता है कि वह घर खरीदने के बारे में सोचें। प्रतीक समूह के चेयरमैन प्रशांत तिवारी ने कहा कि लाभ पर 100 प्रतिशत कटौती से रीयल्टी कंपनियों को अगले वित्त वर्ष में सस्ते आवास बनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इससे सस्ते आवासों की उपलब्धता बढ़ेगी।     

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