एक्सपोर्टर्स के लटक सकते हैं 1,75,000 करोड़ रुपए

Edited By ,Updated: 28 Apr, 2017 11:17 AM

exporters can hang up to rs 1 75 000 crore

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जी.एस.टी.) लागू होने के बाद एक्सपोर्टर्स की परेशानियां बढ़ सकती हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आकलन के मुताबिक एक्सपोर्टर्स के करीब 1.75 लाख करोड़

नई दिल्ली: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जी.एस.टी.) लागू होने के बाद एक्सपोर्टर्स की परेशानियां बढ़ सकती हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आकलन के मुताबिक एक्सपोर्टर्स के करीब 1.75 लाख करोड़ रुपए पहली तिमाही में ही अटक सकते हैं। अब वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से राहत की मांग की है।

बता दें कि जी.एस.टी. में प्रस्तावित प्रावधानों के तहत मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर के एक्सपोर्टर्स को टैक्स देना होगा और सरकार का वायदा है कि 7 दिन बाद टैक्स वापस हो जाएगा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि वाणिज्य मंत्रालय को डर है कि एक्सपोर्टर्स के रिफंड में समय लगेगा। यही नहीं, टैक्स वापसी तक वर्किंग कैपिटल फंसने का भी डर सता रहा है। रिफंड प्रक्रिया और पारदर्शी करने की मांग वाणिज्य मंत्रालय को आशंका है कि करीब 1,75,000 करोड़ रुपए अटक सकते हैं, ऐसे में कर्ज लेने वाले एक्सपोर्टर्स की परेशानियां बढ़ जाएंगी। लिहाजा वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से राहत की मांग की है। वाणिज्य मंत्रालय ने टैक्स लेकर वापस करने की बजाय टैक्स न लगाने की मांग की है। साथ ही रिफंड की प्रक्रिया और पारदर्शी करने की मांग की है।

अब तक केवल 34 प्रतिशत सेवाकरदाता ही जुड़े जी.एस.टी.एन. सेराजस्व विभाग ने करदाताओं से इस माह के अंत तक जी.एस.टी. नैटवर्क (जी.एस.टी.एन.) सिस्टम से जुडऩे के लिए कहा है क्योंकि मौजूदा सेवाकरदाताओं में से केवल 34 प्रतिशत ही अब तक इस नए टैक्स सिस्टम के साथ जुड़े हैं। ज्यादा लोगों को इससे जोडऩे के लिए विभाग अपने पहुंच कार्यक्रम का विस्तार कर रहा है। मौजूदा समय में देश में कुल 80 लाख वैट, केंद्रीय उत्पाद शुल्क व सेवाकरदाता हैं।

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