पहले ग्राहक अब किसानों को रुला रहा प्याज

Edited By vasudha,Updated: 05 Feb, 2020 10:19 AM

farmers are making the onion cry

कुछ दिनों पहले ही प्याज के बढ़े हुए दाम ग्राहकों को रुला रहे थे और अब इसकी लगातार गिरती कीमतों से किसानों को रोना पड़ रहा है। देश की सबसे बड़ी प्याज की होलसेल मार्कीट लासलगांव में बड़े पैमाने पर फसल आने के चलते दामों में तेजी से गिरावट आई है। सोमवार...

बिजनेस डेस्क: कुछ दिनों पहले ही प्याज के बढ़े हुए दाम ग्राहकों को रुला रहे थे और अब इसकी लगातार गिरती कीमतों से किसानों को रोना पड़ रहा है। देश की सबसे बड़ी प्याज की होलसेल मार्कीट लासलगांव में बड़े पैमाने पर फसल आने के चलते दामों में तेजी से गिरावट आई है। सोमवार को ही मार्कीट में 18,000 क्विंटल प्याज एकमुश्त पहुंचने के चलते रेट 2250 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। इसके चलते प्याज उत्पादक किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं और उन्होंने सरकार से गिरती कीमतों को थामने के लिए कोई कदम उठाने की मांग की है। प्याज उत्पादकों ने सरकार से स्टॉक की लिमिट खत्म करने और निर्यात पर लगे बैन को हटाने की मांग की है। बता दें कि सरकार ने सितम्बर, 2019 से दिसम्बर, 2019 के दौरान प्याज के दामों में तेज इजाफे को रोकने के लिए स्टॉक की लिमिट तय करने के साथ ही निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। 

 

सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र के लासलगांव की प्याज मंडी में दिसम्बर में ही 8625 रुपए क्विंटल तक प्याज की खरीद हुई थी लेकिन अब जब नई फसल आई है तो किसानों को उनकी उपज का महज 2250 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से ही रेट मिल रहा है। लोकसभा सांसद भारती पवार ने भी कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को खत लिखकर प्याज के एक्सपोर्ट से रोक हटाने की मांग की है। वह नासिक जिले के अंतर्गत आने वाली डिंडोरी लोकसभा सीट से सांसद हैं, जो देश में प्याज की पैदावार के लिए मशहूर है।

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कारोबारी नहीं खरीद पा रहे किसानों की फसल
लासलगांव के कृषि उत्पाद मार्कीट कमेटी के चेयरमैन सुवर्णा जगताप ने इस समस्या को लेकर कहा कि दिसम्बर के अंत में प्याज की बड़ी सप्लाई के बाद भी कारोबारी प्याज को स्टोर नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह सरकार की ओर से स्टॉक की सीमा तय करना है जिसके चलते कारोबारी किसान की फसल को बड़ी मात्रा में नहीं खरीद पा रहे।

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हर दिन आ रहा 25,000 क्विंटल प्याज
आसपास के इलाकों से प्याज की सप्लाई बढऩे के चलते लासलगांव की मंडी में इन दिनों हर तरफ प्याज ही प्याज दिख रहा है लेकिन किसान फसल की वाजिब कीमत को मोहताज है। सुवर्णा ने कहा कि उन्होंने राज्य और केन्द्र सरकार को पहले ही इस समस्या को लेकर अलर्ट कर दिया है। कमेटी के पूर्व चेयरमैन जयदत्त होलकर ने कहा कि हर दिन मंडी में 20 से 25 हजार किं्वटल तक प्याज आ रहा है। इसके चलते कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि हमने इस मसले पर केंद्र सरकार से बात की है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिल सका है।

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अब सड़ रहा है विदेशों से मंगवाया प्याज
इस बीच आयातित प्याज की बड़ी मात्रा सड़ रही है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले दिनों कहा था कि राज्य सरकारें आयातित प्याज अब और नहीं खरीदना चाहतीं। ऐसा कहते हुए उन्होंने अब और आयात न करने का संकेत दिया है। सूत्रों के मुताबिक कुल 36,000 टन आयातित प्याज में से 4 राज्यों ने ही 2000 टन प्याज खरीदा है। इसके अलावा बाकी प्याज सड़ रहा है। कारोबारियों का कहना है कि अब भारत में प्याज की फसल आनी शुरू हो गई है इसलिए ग्राहक विदेशी प्याज की बजाय देसी फसल को ही तवज्जो दे रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि आयातित प्याज का स्वाद भी घरेलू प्याज की तुलना में अलग है। इसके कारण कई राज्यों ने आयातित प्याज के ठेके रद्द कर दिए थे। बीते वर्ष के फसल सीजन में प्याज की फसल हजारों किसानों के जीवन में खुशहाली ले आई। प्याज के थोक भाव कुछ दिनों के लिए तो 100 रुपए प्रति किलो तक हो गए।

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