Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Sep, 2025 04:20 PM

22 सितंबर से लागू होने वाली नई जीएसटी दरों से आइसक्रीम, साबुन, शैम्पू और अन्य दैनिक आवश्यक वस्तुएं पहले से ही दुकानों में सस्ती कीमतों पर उपलब्ध होने लगी हैं। ब्रांड्स और रिटेलर्स लास्ट मिनट स्टॉकिंग से बचने और पॉजिटिव कंज्यूमर ट्रेंड्स का फायदा...
बिजनेस डेस्कः 22 सितंबर से लागू होने वाली नई जीएसटी दरों से आइसक्रीम, साबुन, शैम्पू और अन्य दैनिक आवश्यक वस्तुएं पहले से ही दुकानों में सस्ती कीमतों पर उपलब्ध होने लगी हैं। ब्रांड्स और रिटेलर्स लास्ट मिनट स्टॉकिंग से बचने और पॉजिटिव कंज्यूमर ट्रेंड्स का फायदा उठाने के लिए अपने स्टॉक को तेजी से भर रहे हैं। रिटेलर्स तेजी से अपनी दुकानों को एफएमसीजी प्रोडक्ट्स से भर रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 12% स्लैब वाले 99% सामान अब 5% स्लैब में आ जाएंगे। इसमें बटर, पनीर, मिठाइयां, नमकीन स्नैक्स, बिस्कुट्स, आइसक्रीम, साबुन और टूथपेस्ट जैसे कई उत्पाद शामिल हैं। कंपनियां पहले से ही कम टैक्स रेट पर बिल देकर रिटेलर्स को प्रोडक्ट्स भेज रही हैं।
पीएंडजी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, ब्रिटानिया और लॉरियल जैसी कंपनियों ने विज्ञापनों और सोशल मीडिया के माध्यम से नई कीमतों की घोषणा की है। इनमें हेड एंड शोल्डर्स, पैंटीन, पैंपर्स डायपर, जिलेट शेविंग क्रीम, डव, लक्स और लाइफबॉय जैसे ब्रांड शामिल हैं।
क्विक-कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स जैसे स्विगी इंस्टामार्ट और अमेज़न नाउ ने भी बिक्री और छूट अभियान शुरू कर दिया है, ताकि ग्राहक जीएसटी बचत का लाभ जल्दी उठा सकें।
सरकार ने जीएसटी को तीन मुख्य स्लैब 5%, 18% और 40% में सरल कर दिया है। 5% स्लैब अधिकांश दैनिक आवश्यक वस्तुओं पर लागू होगा, 18% सामान्य उपभोक्ता उत्पादों पर और 40% स्लैब लक्जरी और पाप श्रेणियों पर लागू होगा। कंपनियों को उम्मीद है कि नई दरें उपभोग में वृद्धि और बिक्री में सुधार लाएंगी।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक सुधीर सीतापति के अनुसार, जीएसटी में यह सुधार उपभोक्ताओं के खर्च को बढ़ाएगा और बाजार में ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित करेगा। नई दरों के साथ स्टॉक भेजना शुरू हो गया है, जबकि पुराने पैकेजिंग पर री-लेबलिंग वैकल्पिक है और इसका समय 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
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