ऋण बाजार में FPI का बड़ा कदम, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश 2 साल के उच्च स्तर पर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Nov, 2023 10:57 AM

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भारतीय ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) नवंबर में 27 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। अगले साल जून से जेपी मॉर्गन के सरकारी बॉन्ड सूचकांक– इमर्जिंग मार्केट्स (जीबीआई-ईएम) में भारत के शामिल होने की घोषणा से एफपीआई निवेश में तेजी आई...

बिजनेस डेस्कः भारतीय ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) नवंबर में 27 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। अगले साल जून से जेपी मॉर्गन के सरकारी बॉन्ड सूचकांक– इमर्जिंग मार्केट्स (जीबीआई-ईएम) में भारत के शामिल होने की घोषणा से एफपीआई निवेश में तेजी आई है। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई का निवेश 6,382 करोड़ रुपए था, जो 26 नवंबर तक बढ़कर 12,399 करोड़ रुपए हो गया।

पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल ने कहा, ‘एफपीआई निवेश बॉन्ड के वैश्विक सूचकांक में शामिल होने की घोषणा के कारण बढ़ा है। आक्रामक निवेशक अभी से ही दांव लगा रहे हैं मगर गंभीर निवेश या बड़ी राशि का निवेश अगले साल जनवरी से शुरू होगा।’ बाजार भागीदारों का अनुमान है कि दिसंबर में निवेश की आवक कुछ घटेगी और उसके बाद एक बार फिर निवेश बढ़ सकता है क्योंकि एफपीआई जनवरी से पोजिशन लेना शुरू कर देंगे। गोयल ने कहा, ‘साल समाप्त होने के कारण दिसंबर में विदेशी निवेश थोड़ा घटेगा और जनवरी के अंत तक ऋण बॉन्डों में बड़ा निवेश आना शुरू हो जाएगा।’

जेपी मॉर्गन ने 22 सितंबर को अपने उभरते बाजारों के बॉन्ड सूचकांक में भारत को शामिल करने की घोषणा की थी। भारत को इसके प्रमुख सूचकांक जीबीआई-ईएम ग्लोबल डाइवर्सिफाइड इंडेक्स में शामिल किया जाएगा और यह काम अगले साल जून में शुरू होगा। यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से 18 महीने में पूरी होगी और 31 मार्च, 2025 तक हर महीने 1 फीसदी भारांश शामिल किया जाएगा। भारतीय बॉन्डों का भारांश चीन की तरह 10 फीसदी होगा। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के बीच ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई ने 43,703 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया, जो पिछले साल अप्रैल से नवंबर के बीच केवल 833 करोड़ रुपए था।

विदेशी निवेशकों ने चालू कैलेंडर वर्ष में भारत के ऋण बाजार में 47,105 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जो बीते 6 साल में सबसे अधिक है। वर्ष 2022 में शुद्ध एफपीआई निवेश 5,706 करोड़ रुपए था। चार साल में पहली बार 2023 में एफपीआई भारतीय ऋण प्रतिभूतियों के शुद्ध खरीदार बने हैं। हाल तक एफपीआई शुद्ध बिकवाल थे। इससे पहले 2019 में उन्होंने बॉन्डों में रिकॉर्ड 25,882 करोड़ रुपए का निवेश किया था।

बॉन्डों में निवेश बढ़ने का एक कारण फेडरल रिजर्व के रुख में बदलाव से विदेशी निवेशकों को आकर्षक रिटर्न मिलना भी है। बाजार भागीदारों का कहना है कि अमेरिक में ब्याज दरें उच्चतम स्तर पर पहुंचने के संकेत से स्थिरता की धारणा आई है, जिससे निवेशकों को ऋण बाजार में अवसर तलाशने की प्रेरणा मिली है। जेएम फाइनैंशियल में प्रबंध निदेशक और संस्थागत स्थिर आय के प्रमुख अजय मंगलूनिया ने कहा, ‘बाजार समझ रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में शायद अब और इजाफा नहीं करेगा।’

मंगलूनिया ने कहा, ‘ऐसे में वह दर वृद्धि पर रोक लगा सकता है या दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रख सकता है। बाजार में स्थयित्व आने का मतलब है कि इन्हीं दरों पर निवेश करने का समय आ गया है। दर कटौती का सिलसिला शुरू नहीं हुआ है। लोग मान रहे हैं कि इसमें लंबा समय लग सकता है और फिलहाल दरें ऊंची बनी रह सकती हैं।’

करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘दुनिया भर में दरें उच्चतम स्तर पर हैं और भारतीय बाजार में मुद्रास्फीति स्थिर होती दिख रही है। ऐसे में जनवरी से बॉन्ड बाजार में सक्रिय निवेश शुरू हो जाएगा।’ एफपीआई भले ही शुद्ध खरीदार रहे हैं मगर उन्होंने सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की तय सीमा का पूरा उपयोग नहीं किया है।

केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के लिए 2.68 लाख करोड़ रुपए की तय सीमा का पात्र एफपीआई ने बीते शुक्रवार तक केवल 29.72 फीसदी का ही उपयोग किया है। इसी तरह कॉर्पोरेट बॉन्ड के लिए तय ऊपरी सीमा 6.78 लाख करोड़ रुपए में से केवल 15.43 फीसदी का ही उपयोग हुआ है। चालू कैलेंडर वर्ष में 24 नवंबर तक निवेशकों ने सरकार और कॉर्पोरेट बॉन्डों में कुल 47,900 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
 

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