सोने का आयात 26.7% बढ़कर 35.95 अरब डॉलर हुआ

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jan, 2024 11:36 AM

gold import increased by 26 7 to 35 95 billion in the first nine

भारत का सोने का आयात चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर) में 26.7 प्रतिशत बढ़कर 35.95 अरब डॉलर हो गया है। स्वर्ण आयात का देश के चालू खाते के घाटे (कैड) पर असर पड़ता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार आयात में वृद्धि का कारण मांग का बेहतर होना...

नई दिल्लीः भारत का सोने का आयात चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर) में 26.7 प्रतिशत बढ़कर 35.95 अरब डॉलर हो गया है। स्वर्ण आयात का देश के चालू खाते के घाटे (कैड) पर असर पड़ता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार आयात में वृद्धि का कारण मांग का बेहतर होना था। एक साल पहले की इसी अवधि में सोने का आयात 28.4 अरब डॉलर रहा था। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर, 2023 में इस बहुमूल्य धातु का आयात 156.5 प्रतिशत बढ़कर तीन अरब डॉलर का हो गया। 

स्विट्जरलैंड सोने के आयात का सबसे बड़ा स्रोत है, जहां से आयात की हिस्सेदारी लगभग 41 प्रतिशत है। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (लगभग 13 प्रतिशत) और दक्षिण अफ्रीका (लगभग 10 प्रतिशत) का स्थान है। देश के कुल आयात में इस कीमती धातु की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से अधिक की है। फिलहाल सोने पर 15 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता है। सोने के आयात में वृद्धि के बावजूद देश का व्यापार घाटा (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) इस वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में अप्रैल-दिसंबर, 2022 के 212.34 अरब डॉलर के मुकाबले घटकर 188.02 अरब डॉलर रह गया। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है। 

सोने का आयात मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। इस अवधि के दौरान रत्न एवं आभूषण निर्यात 16.16 प्रतिशत घटकर 24.3 अरब डॉलर रह गया। पिछले साल 26 दिसंबर को जारी भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा तेजी से कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक प्रतिशत या 8.3 अरब डॉलर रह गया। इसका मुख्य कारण व्यापारिक व्यापार घाटा कम होना और सेवा निर्यात में वृद्धि होना है। चालू खाते का घाटा तब होता है जब आयातित वस्तुओं और सेवाओं और अन्य भुगतान का मूल्य किसी विशेष अवधि में किसी देश द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और अन्य प्राप्तियों के मूल्य से अधिक हो जाता है।  
 

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