राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर रखने में कामयाब होगी सरकारः मूडीज

Edited By Supreet Kaur,Updated: 07 Jun, 2018 04:23 PM

government will be able to keep fiscal deficit within target says moodys

मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने आज कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। यहां तक कि बजटीय लक्ष्य को पाने के लिए पूंजी खर्च में भी कटौती की जा सकती है। हालांकि, उसने यह...

नई दिल्लीः मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने आज कहा कि उसे उम्मीद है कि भारत चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। यहां तक कि बजटीय लक्ष्य को पाने के लिए पूंजी खर्च में भी कटौती की जा सकती है। हालांकि, उसने यह भी कहा कि कच्चे तेल के दाम में वृद्धि को देखते हुए पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की जाती है तो भारत की साख पर दबाव पड़ सकता है।

मूडीज ने 13 साल में पहली बार देश की साख पिछले साल बढ़ाकर स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीएए 2’ कर दिया। उसका कहना था कि निरंतर आर्थिक और संस्थागत सुधारों से वृद्धि संभावना सुधरी है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार सरकार धीरे-धीरे राजकोषीय मजबूती तथा बजटीय लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध दिखती है, इस आधार पर 2018-19 के लिए राजकोषीय घाटे के 3.3 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कर लिए जाने की उम्मीद है। मूडीज के उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ साख अधिकारी विलियम फोस्टर ने कहा, ‘‘हालांकि मूडीज को बजट में निर्धारित राजस्व तथा व्यय लक्ष्य से नीचे जाने का जोखिम दिखता है, लेकिन उसे उम्मीद है कि सरकार राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लेगी। लक्ष्य पाने में यदि कुछ कमी नजर आती है तो योजनागत पूंजी व्यय में कटौती कर सकती है जैसा कि पूर्व के वर्षों में भी कई मौकों पर देखा गया।’’

राजस्व के बारे में मूडीज ने कहा कि सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पाद शुल्क से राजस्व का जो अनुमान रखा है, उसके कुछ नीचे रहने की आशंका है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ के समय पर भुगतान समेत जीएसटी क्रियान्वयन तथा अनुपालन को लेकर जारी अनिश्चितता तथा कर की दरों में बदलाव को लेकर जारी प्रक्रिया से राजस्व का कुछ नुकसान हो सकता है। मूडीज ने यह भी कहा, ‘‘अगर वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम ऊंचे बने रहते हैं, ऐसे में सरकार पेट्रोलियम और डीजल उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है। इससे देश की साख पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।’’

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