कृषि कंपनियों के मुनाफे में हुआ इजाफा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Nov, 2018 02:15 PM

growth in the profits of agricultural companies

मॉनसून की सामान्य बारिश और कीमतों में इजाफे से बिक्री की मात्रा में वृद्धि के कारण सितंबर 2018 में समाप्त हुई तिमाही में कृषि वस्तुओं से संबंधित कंपनियों ने अपने राजस्व में अच्छी वृद्धि और शुद्ध लाभ दर्ज किया है।

मुंबईः मॉनसून की सामान्य बारिश और कीमतों में इजाफे से बिक्री की मात्रा में वृद्धि के कारण सितंबर 2018 में समाप्त हुई तिमाही में कृषि वस्तुओं से संबंधित कंपनियों ने अपने राजस्व में अच्छी वृद्धि और शुद्ध लाभ दर्ज किया है। उदाहरण के लिए पीआई इंडस्ट्रीज ने सितंबर 2018 में समाप्त हुई तिमाही में 29 प्रतिशत की उछाल के साथ 723 करोड़ रुपए का राजस्व दर्ज किया है जबकि पिछले साल समान तिमाही में यह 561.1 करोड़ रुपए था। जुलाई-सितंबर 2018 के दौरान कंपनी का शुद्ध लाभ 17.5 प्रतिशत बढ़कर 94.4 करोड़ रुपए रहा जबकि पिछले साल यह 80.3 करोड़ रुपए था। रैलीस इंडिया का दूसरी तिमाही का राजस्व 11 प्रतिशत बढ़कर 653.9 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 10 प्रतिशत बढ़कर 85.2 करोड़ रुपए हो गया। 

हालांकि कंपनियां कच्चे माल की लागत वृद्धि उपभोक्ताओं पर डालने में सफल रही हैं लेकिन इसमें 4-6 सप्ताह का अंतर रहा जिससे लाभ मार्जिन पर कुछ असर पड़ा। कृषि वस्तुओं से संबंधित कंपनियों का लक्ष्य अपने उत्पादों की अधिकांश दाम वृद्धि दिसंबर तिमाही में करने का है।

रैलीस इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी वी शंकर ने कहा कि इस खरीफ सीजन में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अनियमित रहने के बावजूद पूरे कारोबार खंड का प्रदर्शन अच्छा रहा। हालांकि दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) के मुकाबले 9.4 प्रतिशत कमी के तौर पर वर्गीकृत मॉनसून में केवल 68 प्रतिशत क्षेत्र में ही सामान्य बारिश हुई।

कच्चे माल के दामों में इजाफे के साथ-साथ कीमतों का दबाव और जिंसों के दामों में उतार-चढ़ाव जैसी बाजार की चुनौतियों के बावजूद हमारा किसानों के साथ काम करने, फसलों से बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए उन्हें सूचना, उत्पाद और जानकारी उपलब्ध कराने से घरेलू क्षेत्र में जोरदार वृद्धि हुई। उत्तर-पूर्व मॉनसून के सामान्य पूर्वानुमान और जलाशयों के स्तर में सुधार की वजह से बेहतर रबी सीजन की उम्मीद की जा रही है।

निर्यात-केंद्रित यूपीएल ने अपने राजस्व में 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। ऐसा मुख्य रूप से सितंबर तिमाही में इसकी मात्रा में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी की वजह से हुआ है जो लगातार तीसरी बढ़ोतरी है। यूपीएल 80 प्रतिशत से अधिक राजस्व निर्यात से अर्जित करती है। इसने 2016-17 और 2017-18 में क्रमश: चार प्रतिशत और एक प्रतिशत गिरावट के मुकाबले अपने उत्पादों की कीमतों में औसतन चार प्रतिशत तक का इजाफा किया है।

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