प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ी तो देने होंगे टैक्स

Edited By ,Updated: 04 Mar, 2017 10:26 AM

if property prices increase will have to pay tax

अगर किसी सरकारी योजना की वजह से आपकी प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ जाती है ...

नई दिल्लीः अगर किसी सरकारी योजना की वजह से आपकी प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ जाती है तो आपको उसके एवज में टैक्स देने होंगे। इस तरह की पॉलिसी का फ्रेमवर्क सैंट्रल गवर्नमैंट ने तैयार कर लिया है और ज्यादातर राज्यों ने इस पर सहमति भी दे दी है। इस वैल्यू कैप्चर फाइनैंसिंग (वी.सी.एफ.) पॉलिसी को अर्बन डिवैल्पमैंट मिनिस्ट्री की ओर से राज्यों के समक्ष रखा गया है। जिस पर राज्यों की सहमति के बाद तय किया गया कि 2019-20 तक यह पॉलिसी सभी 100 स्मार्ट सिटीज सहित 50 अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन सिटीज में अप्लाई कर दी जाएगी।

क्या है वैल्यू कैप्चर फाइनैंसिंग
कई देशों में सरकारें वैल्यू कैप्चर फाइनैंसिंग मॉडल पर पब्लिक के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजैक्ट्स तैयार करती हैं, जिसका प्रिंसीपल है कि पब्लिक इन्वैस्टमैंट से बनने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर से प्रॉफिट लेने वाले लोगों को टैक्स के रूप में गवर्नमैंट को पे भी करना चाहिए। इस बेस पर सैंट्रल गवर्नमैंट की आर्गेनाइजेशन नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एन.आई.यू.ए.) ने म्यूनिसिपल बॉडी की इंकम बढ़ाने के लिए वी.सी.एफ. पॉलिसी तैयार की है।

ये राज्य हुए तैयार
अर्बन डिवैल्पमैंट मिनिस्टर वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में एक मीटिंग में लगभग सभी राज्यों के आफिसर्ज शामिल हुए। मीटिंग में बताया गया कि देश की ग्रॉस डोमैस्टिक प्रोडक्शन (जी.डी.पी.) में म्यूनिसिपल सैक्टर से मिलने वाले रैवेन्यू का शेयर सिर्फ 0.75 पर्सैंट है, जबकि साऊथ अफ्रीका में 6, ब्राजील में 5 और पोलैंड में 4.50 पर्सैंट है। इसलिए राज्य सरकारों को म्यूनिसिपल बॉडी के रैवेन्यू बढ़ाने के प्रयास करने चाहिएं। मीटिंग में वैल्यू कैप्चर फाइनांस पॉलिसी के फ्रेमवर्क से राज्यों को अवगत करवाया गया। सोर्स के मुताबिक गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, अरुणाचल, गोवा ने इंफॉर्मेशन दी कि वे वी.सी.एफ. मॉडल को अप्लाई करने के लिए तैयार हैं।

ऐसे होगा अप्लाई
अर्बन डिवैल्पमैंट मिनिस्ट्री ने राज्यों के सामने वी.सी.एफ. मॉडल को अप्लाई करने का टारगेट रखा है। इसके मुताबिक वर्ष 2017-18 में हर स्टेट में वी.सी.एफ. पॉलिसी और रूल्स बनाए जाएंगे। वर्ष 2018-19 में यह पॉलिसी 10 लाख से अधिक संख्या वाले शहरों में अप्लाई कर दी जाएगी, जबकि वर्ष 2019-20 में यह पॉलिसी सभी 100 स्मार्ट सिटीज सहित 500 अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन शहरों में लागू कर दी जाएगी। मिनिस्ट्री ने राज्यों से कहा है कि तय टार्गेट के मुताबिक यदि यह पॉलिसी लागू की गई तो केंद्र की ओर से राज्यों को इन्सैंटिव भी दिया जाएगा।

कौन-से लग सकते हैं टैक्स
वैल्यू कैप्चर फाइनांस पॉलिसी में कई तरह के टैक्स लगाने का प्रोविजन है। राज्य अपने शहरों में इनमें से कोई 1, 2 या मल्टीपल टैक्स लगाने का फैसला ले सकते हैं।

बैटरमैंट चार्ज 
यह चार्ज उन क्षेत्रों में लगाया जा सकता है, जहां गवर्नमैंट लैंड पुलिंग पॉलिसी के तहत लोगों से जमीन लेती है और वहां इंफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट करके कुछ हिस्सा वापस दे देती है। इसके बाद गवर्नमैंट लैंड ऑनर से बैटरमैंट चार्ज कलैक्ट कर सकती है।

लैंड वैल्यू टैक्स
गवर्नमैंट द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट करने की वजह से रेट बढ़ जाने के बावजूद यदि ऑनर लम्बे समय तक जमीन पर कुछ बनाता नहीं है तो गवर्नमैंट लैंड वैल्यू टैक्स लगा सकती है।

इंपैक्ट फीस डिवैल्पमैंट चार्ज
जहां गवर्नमैंट ने बड़ी इन्वैस्टमैंट की अनाऊंसमैंट की है, उस एरिया में होने वाली नई कंस्ट्रक्शन पर इम्पैक्ट फीस लगाई जाएगी, जो डिवैल्पमैंट चार्ज के अलावा होगी। फीस का असैस्मैंट नैट गवर्नमैंट इन्वैस्टमैंट और उससे एरिया की लैंड कॉस्ट में होने वाली ग्रोथ के एस्टीमेट के बेस पर लगाया जाएगा।

फीस फॉर चेंजिंग लैंड यूज
यदि किसी सरकारी स्कीम के शुरू होने के बाद वहां लैंड यूज चेंज होता है। जैसे कि एग्रीकल्चर लैंड को नॉन-एग्रीकल्चर लैंड में चेंज किया जाता है तो लैंड ऑनर से फीस कलैक्ट की जा सकती है।

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