समय से उड़ान के मामले में देश के इन बड़े हवाई अड्डों का प्रदर्शन खराब

Edited By Pardeep,Updated: 30 Jun, 2018 11:05 PM

in the case of flight from time to time these airports in the country are poor

दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दुनिया का 16वां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है, हालांकि समय पर उड़ान के मामले उसकी हालत खराब है। वह कुल 513 हवाई अड्डों में 451 वें पायदान पर है। उड़ान से जुड़ी जानकारी देने वाली अंतरराष्ट्रीय फर्म ओएजी के...

नई दिल्ली: दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दुनिया का 16वां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है, हालांकि समय पर उड़ान के मामले उसकी हालत खराब है। वह कुल 513 हवाई अड्डों में 451 वें पायदान पर है। उड़ान से जुड़ी जानकारी देने वाली अंतरराष्ट्रीय फर्म ओएजी के अध्ययन में यह बात सामने आई। 
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पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डा विश्वस्तरीय रैंकिंग में 65 वें पायदान पर
वहीं, समय पर उड़ान के मामले में देश के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, मुंबई की हालत दिल्ली से भी बुरी है। वह समय से उड़ान के मामले में दुनिया के सबसे पांच खराब हवाई अड्डों में शामिल है। ओएजी की समय से प्रदर्शन (ओटीपी) की शीर्ष 200 हवाई अड्डों की सूची में किसी भी प्रमुख भारतीय हवाई अड्डे को जगह नहीं मिली है लेकिन अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डा विश्वस्तरीय रैंकिंग में 65 वें पायदान पर है। उसकी उड़ान की समयबद्धता दर 84.6 प्रतिशत है। 
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दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों में बुनियादी ढांचे से जुड़ीं समस्याएं
समय पर प्रदर्शन के मामले में दिल्ली का प्रदर्शन 70.7 प्रतिशत पर है इसकी तुलना में 94.5 प्रतिशत की ओटीपी दर के साथ जापान का नागोया कोमाकी हवाई अड्डा सूची में पहले पायदान पर है। हैदराबाद हवाई अड्डा 246 वें , बेंगलुरू हवाई अड्डा 262 वें और कोलकाता 270 वें स्थान पर रहा है। विमानन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हवाई अड्डों में बुनियादी ढांचे से जुड़ीं समस्याएं हैं, जो कि कुछ हद तक इनके समय से उड़ान में बाधा डाल रही हैं।
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उड़ान में देरी से जुड़े 60% मामले प्रतिक्रियात्मक
हालांकि अधिकारी ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और नवी मुंबई स्थित प्रस्तावित हवाई अड्डों के तैयार हो जाने के बाद स्थिति में सुधार होगा। ये हवाईअड्डे अगले चार से पांच साल में तैयार हो जाने की उम्मीद है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के मासिक आंकड़ों के मुताबिक उड़ान में देरी से जुड़े 60 प्रतिशत मामले प्रतिक्रियात्मक हैं, यानी आने वाली उड़ान के देरी से आने की वजह से ही जाने वाली उड़ान में देरी होती है।  

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