अमरीका-चीन ट्रेड वार से भारत को हो सकता है फायदा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 May, 2019 11:12 AM

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दुनिया के 2 दिग्गज देशों चीन-अमरीका के बीच फिर से ट्रेड वार शुरू हो गया है लेकिन इस ट्रेड वार को भारतीय कारोबारियों के लिए एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय निर्यातकों का मानना है कि इससे अमरीका में होने वाले भारतीय निर्यात में इजाफा होगा।

नई दिल्लीः दुनिया के 2 दिग्गज देशों चीन-अमरीका के बीच फिर से ट्रेड वार शुरू हो गया है लेकिन इस ट्रेड वार को भारतीय कारोबारियों के लिए एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय निर्यातकों का मानना है कि इससे अमरीका में होने वाले भारतीय निर्यात में इजाफा होगा। 

फैडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के पूर्व अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने बताया कि अमरीका एवं चीन के बीच होने वाली इस कारोबारी लड़ाई से निश्चित रूप से भारत को फायदा होने जा रहा है क्योंकि अमरीका के लिए चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश भारत ही है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच चलने वाले ट्रेड वार की वजह से ही भारत से अमरीका होने वाले निर्यात में पिछले महीने 15 प्रतिशत की बढ़ौतरी दर्ज की गई है। रल्हन ने बताया कि अमरीका चीन के साथ अपने व्यापार संतुलन को ठीक कर रहा है और इसके तहत ही अमरीका इस प्रकार के फैसले ले रहा है। उल्लेखनीय है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर आयात शुल्क दर बढ़ाए जाने की धमकी दी है।

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चीन के साथ ट्रेड डैफिसिट कम करना चाहते हैं ट्रंप 
पिछले साल से दोनों देशों ने एक-दूसरे से किए जाने वाले आयात पर शुल्क लगाया था। इस ट्रेड वॉर से दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुंचने के बाद दोनों देश के नेताओं ने दिसम्बर में तय किया कि इस ट्रेड वॉर को खत्म किया जाए। ट्रंप का कहना है कि वे चीन के साथ व्यापार घाटे (ट्रेड डैफिसिट) को कम करना चाहते हैं। 2018 में दोनों देशों के बीच ट्रेड डैफिसिट 378.73 अरब डॉलर था। ट्रंप ने जिनपिंग के सामने शर्त रखी है कि अमरीकी सामान के लिए चीनी बाजार को खोला जाए और चीन अमरीकी कम्पनियों को अपनी तकनीक शेयर करने के लिए मजबूर करना बंद करे।

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चीन को एक्सपोर्ट होने वाली वस्तुएं
चीन ने अमरीका के साथ ट्रेड वॉर के बाद भारत के लिए अपना बाजार खोला है। साथ ही नियमों को उदार बनाया है। इसके चलते भारत बासमती चावल और सोयाबीन तेल की चीन में बिक्री का रास्ता साफ  हो सका है। साथ ही भारत से चीन को शूगर, अंगूर, रॉ कॉटन, फॉर्मास्यूटिकल, फिश मील, फिश ऑयल, मीट, तंबाकू और प्लास्टिक रॉ-मैटीरियल का एक्सपोर्ट किया जा सका है। इनमें से सोयाबीन मील, अनार, केला और मकई जैसी आइटम की फरवरी-अप्रैल माह के एक्सपोर्ट में 346 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत ने चीन से आयात में कमी की है। इसका नतीजा यह हुआ है कि पिछले साल भारत का राजकोषीय घाटा कम हुआ है, जो 76 बिलियन डॉलर से कम होकर 70 बिलियन डॉलर हो गया है।

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भारत को सस्ती दर पर कच्चा तेल बेचने का भरोसा नहीं दे सकते: अमरीका 
भारत में व्यापार अवसर तलाशने को लेकर अमरीका की 100 से अधिक कंपनियों के प्रतिनिधि भारत की यात्रा कर रहे हैं। 8 दिन की भारत यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली के अलावा अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, मुम्बई, बेंगलूर, हैदराबाद भी जाएगा अमरीका के वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने कहा, ‘‘दुनिया भर में अपने उत्पाद एवं सेवाएं बेचने वाली अमरीकी कंपनियों के लिए निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार सुनिश्चित करने हेतु वाणिज्य विभाग में हमारा लक्ष्य हर उपलब्ध संसाधन का उपयोग करना है।’’ रॉस के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु से भी मिलने का कार्यक्रम है।  रॉस ने कहा कि वह भारत को ईरान के सस्ते तेल का आयात रोकने से होने वाले नुक्सान की भरपाई के लिए रियायती दर पर अपना कच्चा तेल बेचने का भरोसा नहीं दे सकता है। तेल पर मालिकाना हक निजी हाथों में है इसलिए सरकार दाम में छूट देने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती। अमरीका ने भारत को आश्वस्त करते हुए यह भी कहा है कि वह सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात जैसे देशों से बातचीत कर रहा है जिससे भारत को अमरीकी प्रतिबंधों में छूट न बढऩे के बावजूद तेल की सप्लाई मिल सके। 
 

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