भारत-कनाडा रार से बिगड़ेगा कारोबार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Sep, 2023 01:24 PM

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भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ने का बुरा असर दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही कोई तात्कालिक असर न हो लेकिन विवाद लंबा खिंचने पर कारोबार पर विपरीत असर पड़ेगा। राजनीतिक वजहों से दोनों देशों के बीच...

नई दिल्लीः भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ने का बुरा असर दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही कोई तात्कालिक असर न हो लेकिन विवाद लंबा खिंचने पर कारोबार पर विपरीत असर पड़ेगा। राजनीतिक वजहों से दोनों देशों के बीच शुरुआती व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत रद्द हो चुकी है, जो अंतिम अवस्था में थी।

दोनों देशों को उम्मीद थी कि इस साल के अंत तक समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत के राजदूत रह चुके जयंत दासगुप्ता ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पटरी से उतरने का दोनों देशों पर विपरीत असर पड़ेगा।

दासगुप्ता ने कहा, ‘अगर दोनों देशों के बीच एफटीए (जिस पर बात हो रही थी) होता तो इससे कुछ क्षेत्रों को बाजार तक पहुंच बढ़ाने में मदद मिल सकती थी। अब इस अवसर का लाभ उठाने में देरी होगी। इस हिसाब से देखें तो नुकसान है। अगर तनाव जारी रहता है और आगे और प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई की जाती तो कारोबार पर असर पड़ सकता है।’

कनाडा के साथ भारत का कारोबार कुल कारोबार के 1 प्रतिशत से कम है और वह वित्त वर्ष 23 में भारत का 35वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसके साथ कुल व्यापार 8.16 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 23 के दौरान कनाडा को भारत का निर्यात 4.11 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 22 के 3.76 अरब डॉलर से अधिक है। इसका मतलब यह है कि अन्य देशों की तुलना में कनाडा को होने वाले निर्यात की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम है।

भारत से कनाडा भेजे जाने वाले प्रमुख निर्यातों में दवाएं, परिधान, हीरे, रसायन, रत्न एवं आभूषण, समुद्री खाद्य, इंजीनियरिंग के सामान, चावल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व अन्य सामान शामिल हैं। बहरहाल निर्यातकों का कहना है कि लोहा और स्टील उत्पादों और मशीनरी जैसे इंजीनियरिंग के सामान पर असर पड़ सकता है।

फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशकऔर मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने कहा, ‘कारोबार पर संभवतः तत्काल कोई उल्लेखनीय असर नहीं पड़ेगा। यदि कोई असर पड़ता भी है तो देश के लिए राष्ट्रीय महत्त्व के मसलों को देखते हुए व्यापार को गौड़ रखना होगा।’

वित्त वर्ष 2021-22 में कनाडा से आयात 4.05 अरब डॉलर रहा है, जो 29.3 प्रतिशत बढ़ा है। कनाडा से भारत की आयात पर पर निर्भरता शेष विश्व की तुलना में महज 0.56 प्रतिशत है। कनाडा से मुख्य रूप से भारत में दलहन, कच्चे तेल, उर्वरक, एयरक्राफ्ट और विमान उपकरण, हीरों, बिटुमिनस कोयला व अन्य वस्तुओं का आयात होता है।

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बढ़ेंगे और इस पर रोजमर्रा की घटनाओं का कोई असर नहीं पड़ेगा। जीटीआरआई ने एक नोट में कहा कि भारत बड़ा बाजार है और यहां निवेश किए गए धन पर मुनाफा ज्यादा है, जिसे देखते हुए कनाडा के पेंशन फंड भारत में निवेश जारी रखेंगे।

कनाडा के पेंशन फंडों ने भारत में 45 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। 2022 के अंत तक एफडीआई निवेश के मामले में कनाडा विश्व का चौथा बड़ा निवेशक बन गया है। कनाडा के पेंशन फंड प्रमुख रूप से भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र, अक्षय ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और वित्तीय सेवा में निवेश कर रहे हैं।

कनाडा के पेंशन फंडों का भारत में सबसे बड़ा निवेश 2022 में हुआ, जब कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (सीपीपीआईबी) ने भारत में 1.1 अरब डॉलर निवेश किया। पेशन बोर्ड ने भारत की बिजली पारेषण कंपनी इंडिया ग्रिड ट्रस्ट में यह निवेश किया था। इसके साथ ही 2021 में ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान (ओटीपीपी) ने ग्रीनको एनर्जी में 37 करोड़ डॉलर निवेश किए, जो एक अक्षय ऊर्जा कंपनी है।

 

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