भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: 45% भारतीय पुर्जे हों तभी ब्रिटिश कार पर घटेगा शुल्क

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Dec, 2023 02:37 PM

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सरकार ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत वहां की वाहन कंपनियों को शुल्क में कटौती का लाभ तभी देने के लिए कहा है, जब उनकी गाड़ियों में कम से कम 45 फीसदी कलपुर्जे भारत में ही बने हों। ब्रिटेन ने इसका विरोध किया क्योंकि वह भारतीय...

बिजनेस डेस्कः सरकार ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत वहां की वाहन कंपनियों को शुल्क में कटौती का लाभ तभी देने के लिए कहा है, जब उनकी गाड़ियों में कम से कम 45 फीसदी कलपुर्जे भारत में ही बने हों। ब्रिटेन ने इसका विरोध किया क्योंकि वह भारतीय पुर्जों की हिस्सेदारी 25 फीसदी पर ही बनाए रखना चाहता है। उसने 85,000 डॉलर से अधिक कीमत के इलेक्ट्रिक वाहनों पर ही शुल्क घटाने के भारत के प्रस्ताव का भी विरोध किया है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा, ‘ब्रिटेन वाहनों में भारतीय पुर्जों की मात्रा बढ़ाकर 45 फीसदी करने से झिझक रहा है मगर भारत से अच्छी खासी शुल्क कटौती के लिए बवाव डाल रहा है। रूल ऑफ ओरिजिन यानी उत्पादन के मूल स्थान से जुड़े सख्त नियमों का पालन नहीं किया गया तो एफटीए का मकसद ही पूरा नहीं होगा।’

समझौते के के तहत ‘रूल ऑफ ओरिजिन’ के प्रावधान से यह बात पक्की हो जाती है कि जो देश भारत के साथ एफटीए करेगा, वह किसी अन्य देश में बने उत्पाद को अपने ब्रांड का ठप्पा लगाकर भारत में नहीं बेच सकता। भारत को निर्यात करने के लिए उसे उत्पाद में निश्चित मूल्यवर्द्धन करना होगा। रूल ऑफ ओरिजिन की वजह से भारतीय बाजार को विदेशी सामान से पाटा नहीं जा सकता। इस नियम में सख्ती इस डर से बरती जा रही है कि नरमी बरतने पर ब्रिटिश वाहन कंपनियां चीन जैसे देशों में बने पुर्जों से असेंबल किए वाहन यहां निर्यात कर सकती हैं।

भारत सरकार ने 85,000 डॉलर यानी करीब 71 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारों पर शुल्क 100 फीसदी से घटाकर 85 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा है। ब्रिटेन सभी प्रकार के इले​​क्ट्रिक वाहनों पर शुल्क 15 से 20 फीसदी कम करने के लिए कहा है। फिलहाल 40,000 डॉलर यानी 34 लाख रुपए से अ​धिक कीमत वाले पूरी तरह असेंबल्ड वाहनों पर 100 फीसदी और उससे कम कीमत वाले वाहनों पर 70 फीसदी शुल्क लगता है।

अ​धिकारी ने कहा, ‘देसी कंपनियां शुल्क में भारी कटौती के ​खिलाफ हैं। इसलिए भारत ऐसा समाधान चाहता है, जो दोनों के लिए फायदेमंद हो।’ इले​क्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क ज्यादा इसलिए है ताकि तेजी से बढ़ता देसी ईवी उद्योग महफूज रहे। सरकार भारत को ईवी उत्पादन का अड्डा बनाना चाहती है और आयात शुल्क में ज्यादा कटौती इसकी राह में रुकावट बन सकती है।

ब्रिटेन ने अपनी कारों के लिए टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) का भी अनुरोध किया है ताकि भारत की कुल कार बिक्री में 1 फीसदी हिस्सेदारी उसकी कंपनियां बगैर शुल्क निर्यात के जरिए हासिल करें। मामले की जानकारी रखने वाले एक अन्य व्य​क्ति ने कहा, ‘भारत की बिक्री के हिसाब से हर साल अलग-अलग संख्या में कार निर्यात की जाएंगी।’

टीआरक्यू में शुल्क और कोटा दोनों के जरिए व्यापार की सीमा तय की जाती है। इसके तहत किसी भी सामान की एक तयशुदा मात्रा को कम शुल्क के साथ आयात करने की इजाजत मिलती है मगर मात्रा से अधिक आयात करने पर शुल्क ज्यादा लगने लगता है। भारत ने यह अनुरोध स्वीकार किया तो ब्रिटेन करीब 40,000 कार आयात शुल्क के बगैर ही भारत भेजने लगेगा। 2022 में देश में करीब 40 लाख कार बिकी थीं।

भारत-ब्रिटेन एफटीए पर बातचीत जनवरी, 2022 में शुरू हुई थी और उसे पिछले साल दीवाली तक पूरा करने का लक्ष्य था। मगर ब्रिटेन में राजनीतिक घटनाक्रम के कारण ऐसा नहीं हो सका। भारत में अगले साल आम चुनाव होने हैं, इसलिए इस व्यापार समझौता तेजी से पूरा करने की को​शिश की जा रही है। जनवरी 2024 में चौथे दौर की वार्ता होगी।

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