भारतीय एयरलाइंस की उड़ान पर भारी पड़ेगी रुपए की कमजोरी

Edited By Supreet Kaur,Updated: 20 Sep, 2018 10:31 AM

indian airlines will be heavily burdened by rupee depreciation

देश की एविएशन इंडस्ट्री अभी मुश्किल दौर से गुजर रही है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 75 पर जाता है तो इससे देश की एक एयरलाइन के दिवालिया होने की आशंका है। 2008 में ग्लोबल क्रैडिट क्राइसिस और ऑयल के हाई प्राइसेज के दोहरे झटकों से विजय माल्या की...

नई दिल्लीः देश की एविएशन इंडस्ट्री अभी मुश्किल दौर से गुजर रही है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 75 पर जाता है तो इससे देश की एक एयरलाइन के दिवालिया होने की आशंका है। 2008 में ग्लोबल क्रैडिट क्राइसिस और ऑयल के हाई प्राइसेज के दोहरे झटकों से विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को बड़ा नुक्सान हुआ था और वह 2012 में दिवालिया हो गई थी। इस समय स्थिति और खराब है। देश में एयरलाइंस की संख्या बढ़ गई है और उनके बीच मार्कीट शेयर के लिए कड़ा कॉम्पिटिशन है। एयरलाइंस की बैलेंस शीट बहुत मजबूत नहीं है जिससे वे अधिक नुक्सान नहीं उठा सकती।

जून क्वॉर्टर में सभी 3 लिस्टेड एयरलाइंस ने बड़ा नुक्सान उठाया था या उनके प्रॉफिट में भारी गिरावट आई थी। इंडिगो का प्रॉफिट बड़ी गिरावट के साथ 28 करोड़ रुपए रह गया, जो इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में 811 करोड़ रुपए था। जैट एयरवेज ने जून क्वॉर्टर में 1,323 करोड़ रुपए का नुक्सान दर्ज किया, जबकि पिछले वर्ष के समान क्वॉर्टर में इसे 53 करोड़ रुपए का प्रॉफिट हुआ था। स्पाइसजैट का लॉस 38 करोड़ रुपए रहा, जबकि एक वर्ष पहले की समान अवधि में उसने 175 करोड़ रुपए का प्रॉफिट हासिल किया था। 

सितम्बर क्वॉर्टर में लगेगी चपत! 
जून क्वॉर्टर आमतौर पर सभी एयरलाइंस के लिए सबसे प्रॉफिटेबल माना जाता था और इस वजह से सितम्बर क्वॉर्टर में एयरलाइंस के नुक्सान और बढऩे की आशंका है। इसके बाद दिसम्बर क्वॉर्टर एयरलाइंस के लिए न्यू ईयर की छुट्टियों के कारण कुछ बेहतर रह सकता है लेकिन चौथे क्वॉर्टर में इनके लिए मुश्किलें फिर से बढ़ सकती हैं। एक ऐनालिस्ट ने बताया कि भारतीय करंसी के हर बार डॉलर के मुकाबले 1 रुपया कमजोर होने पर इंडिगो जैसी एयरलाइन को हर महीने लगभग 20 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं क्योंकि अधिकतर एयरलाइंस की कॉस्ट डॉलर में होती है। पिछले वर्ष से डॉलर के मुकाबले रुपया 65 से गिरकर 72 पर पहुंच गया है। रुपए में इस 15 प्रतिशत की कमजोरी से एयरलाइंस की कुल कॉस्ट लगभग 11 प्रतिशत बढ़ जाएगी। एयरलाइंस कॉस्ट में बढ़ौतरी के असर को किराए बढ़ाकर पास नहीं कर पा रही।

इसका मतलब है कि अगर रुपया मौजूदा स्तर पर बरकरार रहता है तो केवल इंडिगो को करीब 1,700 करोड़ रुपए की अतिरिक्त कॉस्ट उठानी होगी। जैट एयरवेज, स्पाइसजैट और एयर इंडिया, विस्तारा सहित सभी एयरलाइंस के लिए नुक्सान लगभग 4,000 करोड़ रुपए का हो सकता है। अगर रुपया 75 के स्तर तक जाता है तो इससे एयरलाइंस की कॉस्ट में 6,000 करोड़ रुपए तक की सालाना बढ़ौतरी हो सकती है। एयरलाइन बिजनैस में मार्जिन बहुत कम होता है और दुनियाभर में एयरलाइंस 3-5 प्रतिशत के मार्जिन पर ही चलती हैं। एयर इंडिया, जैट एयरवेज, विस्तारा और एयर एशिया ने पिछले वित्त में कॉस्ट नियंत्रण में होने पर भी नुक्सान उठाया था। 

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