Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Oct, 2025 01:19 PM

जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी जयंत आचार्य ने कहा कि कंपनी घरेलू विस्तार एवं रणनीतिक अपतटीय अधिग्रहण के जरिये अपने घरेलू कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास तेज कर रही है। आचार्य ने निवेशकों के साथ बातचीत...
नई दिल्लीः जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी जयंत आचार्य ने कहा कि कंपनी घरेलू विस्तार एवं रणनीतिक अपतटीय अधिग्रहण के जरिये अपने घरेलू कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास तेज कर रही है। आचार्य ने निवेशकों के साथ बातचीत में कहा, "हम लौह अयस्क और कोकिंग कोल परिसंपत्तियों के एक विविधीकृत खंड के माध्यम से उस हिस्से को मजबूत करना जारी रखेंगे।" लौह अयस्क और कोकिंग कोयला, ब्लास्ट फर्नेस के माध्यम से इस्पात विनिर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले दो प्रमुख कच्चे माल हैं।
हालांकि देश में लौह अयस्क प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, फिर भी भारतीय इस्पात विनिर्माता कोकिंग कोयले के आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के इलावारा कोकिंग कोल परिसंपत्ति में अपनी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी है। इससे उच्च गुणवत्ता वाले कोकिंग कोल की निरंतर खरीद सुनिश्चित हो रही है। इसके अलावा जेएसडब्ल्यू स्टील मोजाम्बिक में मिनास डी रेवुबो परियोजना का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में है जिसका उद्देश्य प्रीमियम निम्न-वाष्पशील (पीएलवी) उच्च-श्रेणी के कोकिंग कोल तक पहुंच सुनिश्चित करना है। आचार्य ने कहा, "हमें उम्मीद है कि यह अधिग्रहण चालू वित्त वर्ष 2025-26 में पूरा हो जाएगा।"
इस्पात विनिर्माता घरेलू स्तर पर अपनी लौह अयस्क क्षमता के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। वर्तमान में जेएसडब्ल्यू स्टील 12 लौह अयस्क खदानों का संचालन करती है, जिनमें से नौ कर्नाटक में और तीन ओडिशा में हैं।