Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Sep, 2019 01:52 PM
ऑटो सेक्टर में चल रही आर्थिक मंदी का ठीकरा बेशक ऐप बेस्ड कैब सर्विस देने वाली कंपनियों ओला व उबर पर फोड़ा जा रहा हो, मगर आंकड़े कुछ और हकीकत बयां कर रहे हैं। परिवहन विभाग के वाहन बिक्री के आंकड़ों से पता लगता है कि यूपी के जिन शहरों में ओला व ऊबर...
नई दिल्लीः ऑटो सेक्टर में चल रही आर्थिक मंदी का ठीकरा बेशक ऐप बेस्ड कैब सर्विस देने वाली कंपनियों ओला व उबर पर फोड़ा जा रहा हो, मगर आंकड़े कुछ और हकीकत बयां कर रहे हैं। परिवहन विभाग के वाहन बिक्री के आंकड़ों से पता लगता है कि यूपी के जिन शहरों में ओला व ऊबर सर्विस नहीं दे रही हैं, उनमें बाकी शहरों के मुकाबले नए वाहनों की बिक्री ज्यादा प्रभावित है।
बता दें कि प्रदेश के कई शहरों में नए वाहनों की बिक्री में 15 प्रतिशत से भी ज्यादा कमी होने से सरकार खासी चिंतित है। परिवहन अधिकारियों के साथ ही जीएसटी के अफसर भी इसकी वजहें तलाश रहे हैं। सरकार भी घटते राजस्व को लेकर वाहनों की बिक्री बढ़ाने के नए रास्ते खोज रही है। इसके बावजूद ऑटो सेक्टर की मंदी दूर नहीं हो पा रही है।
कर्ज लेने से बच रहे हैं लोग
ऑटो सेक्टर में चल रही आर्थिक मंदी की वजह ओला-उबर की जगह दूसरी ही सामने आ रही हैं। आए दिन डीजल व पेट्रोल की दरों में इजाफे के साथ ही लोग अब कर्ज लेकर वाहन खरीदने से बचने लगे हैं। वह किराए पर वाहन लेकर काम चलाना बेहतर समझते हैं। इसके चलते बीते साल की तुलना में ज्यादातर शहरों में वाहनों की बिक्री का ग्राफ नीचे आ गया है। राजधानी लखनऊ में तो स्थिति फिर भी बेहतर है, जहां महज बीते साल अगस्त महीने की अपेक्षा बीते महीने महज 5.67 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि कानपुर में यह आंकड़ा 16.12 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।
11 शहरों में स्थिति नियंत्रण में
लखनऊ सहित प्रदेश के 11 शहरों में ओला संचालित हो रही है, जबकि ऊबर अभी उनमें से प्रमुख शहरों में ही अपनी सेवाएं दे पा रही है। ऐप आधारिक इस टैक्सी सेवा में लगी ज्यादातर गाड़ियां महज एक कॉन्ट्रैक्ट के जरिए ओला व ऊबर चला रही हैं। इससे करीब 6 प्रतिशत लोगों को आवागमन में सुविधा हो रही है। लखनऊ के साथ ही कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, बरेली, मेरठ, गोरखपुर, झांसी, मथुरा व अलीगढ़ में ओला लोगों को आवागमन में अहम भूमिका निभा रही है। इन शहरों में जिन लोगों के पास गाड़ियां हैं, वे भी अक्सर ओला व ऊबर की सेवाएं ले रहे हैं। वहीं जिनके पास अपनी गाड़ियां नहीं हैं, वे भी परिवार के साथ किसी भी कार्यक्रम में जाने के लिए ओला व ऊबर का इस्तेमाल करते हैं।