Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Oct, 2025 05:03 PM

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मई 2025 में भारतीय अधिकारियों ने एक प्रस्ताव तैयार किया था, जिसके तहत एलआईसी से करीब 3.9...
बिजनेस डेस्कः देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मई 2025 में भारतीय अधिकारियों ने एक प्रस्ताव तैयार किया था, जिसके तहत एलआईसी से करीब 3.9 अरब डॉलर (लगभग 34,000 करोड़ रुपए) अडानी समूह की कंपनियों में निवेश कराने की योजना बनाई गई थी।
एलआईसी ने इस रिपोर्ट को “झूठा, भ्रामक और भारत के वित्तीय क्षेत्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाला” बताया है। कंपनी ने कहा कि उसके निवेश निर्णय पूरी तरह स्वतंत्र और पेशेवर नीतियों के तहत लिए जाते हैं।
एलआईसी के बयान में कहा गया, “वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा लगाए गए आरोप कि एलआईसी के निवेश निर्णयों को बाहरी कारक प्रभावित करते हैं, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर हैं। लेख में जैसा दावा किया गया है, वैसा कोई भी दस्तावेज या योजना एलआईसी ने कभी तैयार नहीं की।”
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि वित्तीय सेवा विभाग (DFS) या किसी अन्य सरकारी निकाय की उसके निवेश निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती। सभी फैसले बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों के अनुसार और विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद लिए जाते हैं।
अडानी ग्रुप ने भी रिपोर्ट को बताया गलत
अडानी ग्रुप ने भी वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को पूरी तरह गलत बताया। ग्रुप ने कहा कि वह किसी भी सरकारी योजना का हिस्सा नहीं है और एलआईसी ने अन्य कई कंपनियों की तरह ही अडानी समूह में भी निवेश किया है। ग्रुप ने यह भी बताया कि एलआईसी ने अडानी के पोर्टफोलियो से अच्छा मुनाफा कमाया है, इसलिए इसे किसी “विशेष तरजीह” के रूप में दिखाना भ्रामक और अनुचित है।
हालांकि, सेबी (SEBI) पहले ही हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच में अडानी ग्रुप को किसी भी नियम उल्लंघन से मुक्त कर चुका है। सेबी ने कहा था कि ग्रुप की कंपनियों के बीच फंड ट्रांसफर किसी नियामक नियम का उल्लंघन नहीं करता।