Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Apr, 2018 06:58 PM
वित्त वर्ष 2017 में देश के बैंकिंग क्षेत्र में कुल 12,553 फ्रॉड के मामले सामने आए हैं। इन फ्रॉड्स के मामले में कुल 18,170 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा मामले बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सामने आए हैं इसमें 3,893 फ्रॉड हुए हैं।
नई दिल्लीः वित्त वर्ष 2017 में देश के बैंकिंग क्षेत्र में कुल 12,553 फ्रॉड के मामले सामने आए हैं। इन फ्रॉड्स के मामले में कुल 18,170 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा मामले बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सामने आए हैं इसमें 3,893 फ्रॉड हुए हैं। वहीं पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) को 2810 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक फ्रॉड के ये मामले अप्रैल 2016 से लेकर मार्च 2017 तक के हैं। इस वर्षिक रिपोर्ट के अनुसार जहां कुछ बैंकों में घोटले की रकम कम है लेकिन घोटालों की संख्या अप्रत्याशित तौर पर अधिक है।
20% एसेट खतरे में
बड़े स्तर पर हो रहे भारतीय बैंकों में वित्तीय घोटाले मुफ्त में नहीं हो रहे हैं। इन घोटालों में शामिल रकम के अलावा बैंक पर अलग से वित्तीय दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में फ्रॉड की कुल रकम उसके कुल एसेट का 1.02 फीसदी है। वहीं, इसे बैंक के वार्षिक एनपीए में जोड़ा जाए तो बैंक के कुल एसेट का लगभग 20 फीसदी प्रति वर्ष खतरे में रहता है। यह खतरा महज कमजोर वित्तीय कंट्रोल और घटिया ड्यू डिलिजेंस के चलते है।
प्रति वर्ष सरकारी बैंकों में फ्रॉड की संख्या बेलगाम
गौरतलब है कि बैंक फ्रॉड के चलते होने वाले नुकसान और एन.पी.ए. में हो रहे इजाफे के अलावा भी बैंकों को इस फ्रॉड की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। इतने बड़े स्तर पर होने वाले फ्रॉड के चलते सभी बैंकों को एक बड़ी रकम वार्षिक आधार पर ऑडिट कराने में भी खर्च करनी पड़ती है लेकिन इस बड़ी ऑडिट फीस के बावजूद देश के सरकारी बैंकों में फ्रॉड की संख्या प्रति वर्ष बेलगाम भागती है। उदाहरण के लिए पी.एन.बी. की देशभर में फैली शाखाओं के अलग-अलग ऑडिट कराना, सैकड़ों की संख्या में ऑडिटर्स को रखना और आर.बी.आई. द्वारा तय मानक पर इनका भुगतान करना बैंक के लिए परेशानी का सबब भी बनता है।