'GST प्रणाली को आदर्श बनाने के लिए अभी कई मुद्दों का समाधान जरूरी'

Edited By ,Updated: 28 Jan, 2017 06:30 PM

many issues need to be resolved to make ideal gst  mitra

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) पर वित्त मंत्रियों की अधिकार-प्राप्त समिति के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को लागू करने की तिथि पर अपना सोचा समझा मौन बनाए रखते हुए आज कहा कि इस प्रणाली को एक आदर्श...

कोलकाताः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) पर वित्त मंत्रियों की अधिकार-प्राप्त समिति के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को लागू करने की तिथि पर अपना सोचा समझा मौन बनाए रखते हुए आज कहा कि इस प्रणाली को एक आदर्श जी.एस.टी. प्रणाली बनाने के लिए ‘कई मुद्दों का समाधान किया जाना अभी बाकी है।’   

एक उद्योग मंडल की बजट पूर्व बैठक के दौरान संवाददाताआें से अलग से बातचीत में डा मित्रा ने कहा कि जी.एस.टी. के मामले में अभी कई मुद्दों का समाधान होना बाकी है।   पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री ने यह बात एेसे समय कही है जबकि माना जा रहा है कि प्रस्तावित नई कर प्रणाली पर केंद्र और राज्यों के बीच मोटे तौर पर आम सहमति बन चुकी है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कल आंध्र प्रदेश में निवेशकों के एक सम्मेलन में कहा था कि केन्द्र और राज्यों के बीच वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) से जुड़े ज्यादातर विवादित मुद्दों को हल कर लिया गया है और अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की यह नई व्यवस्था अब क्रियान्वयन के अंतिम चरणों में है।   

जेतली ने विशाखापत्तनम में कहा था, 'मुझे प्रसन्नता है कि करीब करीब सभी राज्यों ने इसे वास्तविकता बनाने में काफी सहयोग दिया है। जी.एस.टी. परिषद की बैठकों में सभी विवादित मुद्दों को हल कर लिया गया है। जी.एस.टी. परिषद एक एेसा मंच है जहां विचारशील लोकतंत्र काम कर रहा है। बहरहाल, अब ये मुद्दे क्रियान्वयन के अंतिम चरणों में हैं।' पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री मित्रा ने बातचीत में जी.एस.टी. से जुड़े कई मुद्दों पर केंद्र के रुख में बदलाव का श्रेय एक तरह से खुद को दिया। इन मुद्दों में समन्वित जी.एस.टी. नैटवर्क के क्षेत्र में केंद्र और राज्यों के बीच ‘बराबरी के व्यवहार, तटवर्ती राज्यों को समुद्री क्षेत्र में एक भौगोलिक सीमा क्षेत्र के अंदर हो कारोबार पर करारोपण के अधिकार और 1.5 करोड़ रुपए के सालाना कारोबार वाली इकाइयों की जांच के अधिकार के मुद्दे शामिल हैं जिन पर केंद्र ने राज्यों को कई छूट दी है।
 

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