2018, 2019 में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 फीसदी रहने का अनुमानः मूडीज

Edited By Supreet Kaur,Updated: 23 Aug, 2018 04:33 PM

moody expected growth rate at 7 5 percent in 2018 2019

भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018 और 2019 में 7.5 फीसदी रह सकती है। तेल की ऊंची कीमत जरूर चुनौती है लकिन भारत ऐसे बाहरी दबाव से पार पाने में काफी हद तक सक्षम है। मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने आज यह कहा। वित्त वर्ष 2018-19 के लिये अपने वैश्विक वृहत परिदृश्य...

नई दिल्लीः भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018 और 2019 में 7.5 फीसदी रह सकती है। तेल की ऊंची कीमत जरूर चुनौती है लकिन भारत ऐसे बाहरी दबाव से पार पाने में काफी हद तक सक्षम है। मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने आज यह कहा। वित्त वर्ष 2018-19 के लिये अपने वैश्विक वृहत परिदृश्य में मूडीज ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से ऊर्जा के दाम में वृद्धि से सकल मुद्रा अस्थायी रूप से बढ़ेगी लेकिन वृद्धि की कहानी मजबूत बनी हुई है। इसका कारण मजबूत शहरी तथा ग्रामीण मांग है और औद्योगिक गतिविधियों में सुधार है।

रिपोर्ट में कहा गया कि जी-20 की कई अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि संभावना मजबूत बनी हुई है लेकिन इस बात के संकेत हैं कि 2018 में वृद्धि की प्रवृत्ति अलग-अलग रह सकती है। ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिये अल्पकाल में वैश्विक परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका की तरफ से बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद, नकदी की कड़ी स्थिति तथा तेल के ऊंचे दाम के कारण कुछ विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति थोड़ी कमजोर है।’’ मूडीज ने 2018 के लिए जी-20 देशों की वृद्धि दर 3.3 फीसदी तथा 2019 में 3.1 फीसदी रहने का अनुमान है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर 2018 में 2.3 फीसदी तथा 2019 में 2 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं जी-20 में शामिल उभरते बाजार 2018 और 2019 में 5.1 फीसदी वृद्धि के साथ आर्थिक वृद्धि का नेतृत्व करेंगे। उसने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2018 और 2019 दोनों वर्ष में 7.5 फीसदी रहेगी।’’

उल्लेखनीय है कि मूडीज ने मई में 2018 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 7.3 फीसदी कर दिया था जबकि पूर्व में इसके 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। भारत की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2018 की पहली तिमाही में 7.7 फीसदी रही है। मूडीज के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में मजबूत गतिविधियां देखी गयी। इसके साथ सामान्य मानसून तथा खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से ग्रामीण मांग में वृद्धि होनी चाहिए। उसने कहा, ‘‘तेल की ऊंची कीमत जैसे बाह्य चुनौतियों तथा वित्तीय मामले में कड़ी स्थिति के बावजूद वित्त वर्ष की शेष अवधि में वृद्धि संभावना अर्थव्यवस्था की क्षमता के अनुरूप रहेगी।’’  
 

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