Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Dec, 2018 11:21 AM
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (MTNL) बुरे दौर से गुजर रही है। MTNL कभी केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनी थी लेकिन अब इसके पास कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं हैं।
मुंबईः सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (MTNL) बुरे दौर से गुजर रही है। MTNL कभी केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनी थी लेकिन अब इसके पास कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं हैं। आर्थिक तंगी की वजह से कंपनी रे कर्मचारियों की नवंबर महीने की सैलरी अटक गई है।
एयर इंडिया जैसी हुई हालत
मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंत तक MTNL का कुल कर्ज बढ़कर 19 हजार करोड़ रुपए हो गया है। दूसरी तिमाही में 859 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, जबकि इस साल 31 मार्च तक संचित घाटा 2,936 करोड़ रुपए था। टेलीकॉम कंपनी की हालत काफी हद तक एयर इंडिया जैसी हो गई है, जिस पर 52 हजार करोड़ रुपए कर्ज का बोझ है। एयर इंडिया को भी अपने कर्मचारियों को मई और जुलाई की सैलरी देने में संघर्ष करना पड़ा। जुलाई की सैलरी अगस्त के दूसरे सप्ताह में मिली, जब इसे केंद्र की ओर से 980 करोड़ रुपए का फंड मिला।
MTNL के डेप्युटी जनरल मैनेजर, बैंकिंग और बजट, ने 28 नवंबर को मुंबई और दिल्ली सर्कल के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर्स को लिखा, 'फंड की कमी की वजह से, बैंकों को नवंबर 2018 की सैलरी जारी करने को नहीं कहा गया है।' MTNL में अनुत्पादक कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है। राजस्व का 92.2 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी पर ही खर्च हो जाता है। MTNL के पास कुल 45 हजार कर्मचारी हैं। इसमें से 20,000 मुंबई में हैं। इसका मासिक सैलरी बिल 200 करोड़ रुपए है।
MTNL के ऑडिटर्स का कहना है कि कंपनी का नेट वर्थ पूरी तरह खत्म हो चुका है। कंपनी का राजस्व 2004 में 4,921.55 करोड़ रुपए था जो मार्च 2018 में गिरकर 2,371.91 करोड़ रुपए रह गया है।
क्यों हुई यह हालत?
MTNL की स्थिति प्राइवेट कंपनियों के उत्थान के साथ बिगड़ती चली गई। ब्रोकरेज हाउस चॉइस ब्रोकिंग के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट राजनाथ यादव कहते हैं कि इसकी मुख्य वजह इसका रवैया है। जब प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियां ग्राहकों को ढेरों ऑफर देकर और लेटेस्ट टेक्नॉलजी में निवेश के जरिए आक्रामक रूप से प्रसार कर रही थीं, तब MTNL ने कस्टमर बेस को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। वह कहते हैं कि जब ततक सरकार कैश नहीं देती, रणनीतिक निवेशक नहीं लाती या BSNL के साथ इसका मर्जर नहीं होता, स्थिति चिंताजनक ही रहेगी।