Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Feb, 2019 10:30 AM
हाल के दिनों में बारिश और ओलावृष्टि से प्रमुख राज्यों में गेहूं की फसल प्रभावित नहीं हुई है और इस बार गेंहू का उत्पादन 10 करोड़ टन के ऊपर नए रिकार्ड स्तर तक पहुंच सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी है।
नई दिल्लीः हाल के दिनों में बारिश और ओलावृष्टि से प्रमुख राज्यों में गेहूं की फसल प्रभावित नहीं हुई है और इस बार गेंहू का उत्पादन 10 करोड़ टन के ऊपर नए रिकार्ड स्तर तक पहुंच सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार रबी की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है और पिछले हफ्ते तक इसका रकबा 298.47 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। पिछले साल अब तक 299.84 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड नौ करोड़ 97 लाख टन हुआ था। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्र ने कहा, 'अभी तक गेहूं की फसल पर बारिश का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। कुछ हिस्सों में कुछ मामूली असर हो सकता है। हालांकि, फसल का अधिकांश हिस्सा अच्छी स्थिति में है।'
उन्होंने कहा कि विस्तारित सर्दी का मौसम गेहूं फसल के लिए अच्छा रहा है क्योंकि कम तापमान के कारण फसल के विकास को मदद मिलेगी। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि आने वाले हफ्तों में बारिश या ओलावृष्टि होने की स्थिति में फसल प्रभावित हो सकता है। महापात्रा ने कहा, 'गेहूं की बुआई पूरी हो गई है। फसल का रकबा एक साल पहले की तुलना में थोड़ा कम है, लेकिन हमें उम्मीद है कि पैदावार अधिक होगी और कुल उत्पादन 10 करोड़ टन के स्तर को पार कर जाएगा।'
अन्य रबी फसलों के बारे में, आईसीएआर प्रमुख ने कहा कि चना (चना) और सरसों की फसल अच्छी है। वर्ष 2018-19 में भारी मात्रा में रबी फसल के उत्पादन की संभावना है। केंद्र जल्द ही वर्ष 2018-19 की रबी फसलों के लिए उत्पादन अनुमान की घोषणा करेगा। सरकार ने उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना समर्थन मूल्य तय करने के अपने फैसले के तहत गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 1,735 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,840 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। खाद्यान्नों की खरीद और वितरण के लिए नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य सरकार की एजेंसियां एमएसपी पर किसानों से गेहूं खरीदती हैं और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को यह अनाज दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से वितरित की जाती है।