नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी की राय, पकौड़े बेचना कोई बुरी बात नहीं

Edited By Supreet Kaur,Updated: 19 Oct, 2019 01:59 PM

nobel prize winning abhijit banerjee opinion selling pakoda is not a bad thing

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के अर्थशास्‍त्री अभिजीत बनर्जी की राय में पकौड़ा बेचना कोई बुरी बात नहीं है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पकौड़ा बेचना बुरी बात नहीं है लेकिन इस धंधे में काफी सारे लोग हैं, जिनकी वजह से उन्हें काफी कम कीमत...

नई दिल्लीः नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के अर्थशास्‍त्री अभिजीत बनर्जी की राय में पकौड़ा बेचना कोई बुरी बात नहीं है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पकौड़ा बेचना बुरी बात नहीं है लेकिन इस धंधे में काफी सारे लोग हैं, जिनकी वजह से उन्हें काफी कम कीमत में इसे बेचना पड़ता है।

32 की उम्र सीमा तक बेरोजगारी दर काफी कम
जब बनर्जी से पूछा गया कि क्या भारत में श्रम गतिविधि में जाति एक बाहरी बाधा की तरह है? इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सभी लोग हर तरह के काम करना चाहते हैं। एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 32 की उम्र सीमा तक बेरोजगारी दर काफी कम है। 30 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते भारतीय नागरिक कुछ न कुछ करना शुरू कर देते हैं। अभिजीत बनर्जी से पूछा गया कि रोजगार मिले, भले ही वह पकौड़ा बेचने वाला ही क्यों न हो? इस पर बनर्जी ने अपनी बात रखी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पकौड़े बेचना भी एक रोजगार है, जिस पर विपक्ष ने उनकी तीखी आलोचना की थी।

कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से फायदा नहीं
अभिजीत बनर्जी ने कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती या ब्याज दरों में कमी का ग्रोथ पर कोई असर नहीं होने जा रहा है। सबसे सही तरीका है गरीबों के हाथ में पैसा देना। इससे अर्थव्यवस्था में दोबारा जान आएगी और यह देखने के बाद कॉर्पोरेट सेक्टर दोबारा निवेश करेगा। साथ ही अभिजीत बहुत अधिक सैलरी के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं सैलरी की एक सीमा होनी चाहिए, लेकिन इसे लागू करना मुश्किल है। मैं अधिक आमदनी पर ऊंचे टैक्स के समर्थन में हूं। असमानता दूर करने के लिए टैक्स सिस्टम का इस्तेमाल किया जाए। 

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