खाद्य तेलों के सस्ते आयात के चलते तिलहन उत्पादक किसानों को नहीं मिल पा रहा है उचित मूल्य

Edited By Supreet Kaur,Updated: 28 Oct, 2019 04:54 PM

oilseeds producing farmers not getting fair price to cheap import of edible oils

किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने तथा खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सरकार के घोषित लक्ष्य के बाद भी उद्योग जगत का कहना है कि तेलों के सस्ते आयात के चलते तिलहन किसान अपने उत्पाद का उचित मूल्य न मिलने से परेशान हैं। तेल उद्योग के...

नई दिल्लीः किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने तथा खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सरकार के घोषित लक्ष्य के बाद भी उद्योग जगत का कहना है कि तेलों के सस्ते आयात के चलते तिलहन किसान अपने उत्पाद का उचित मूल्य न मिलने से परेशान हैं। तेल उद्योग के लोगों का कहना है कि खाद्य तेलों के सस्ते आयात की वजह से सरसों, मूंगफली और सोयाबीन उत्पादक किसानों को उनके तिलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तक उपलब्ध हो पाना मुश्किल बना हुआ है। सरकार ने पिछले साल की सरसों का एमएसपी 4,200 रुपए क्विंटल रखा था लेकिन सूत्रों ने बताया कि थोक बाजार में इसके भाव कभी भी 4,000 रुपए क्विंटल को पार नहीं कर पाए।

सरकार ने पिछले दिनों रबी मौसम की फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया। इसमें गेहूं का समर्थन मूल्य जहां 85 रुपए बढ़ाकर 1,925 रुपए क्विंटल घोषित किया वहीं दालों के एमएसपी में 325 रुपए क्विंटल तक की वृद्धि की गई। सरसों का समर्थन मूल्य 225 रुपए बढ़ाकर 4,425 रुपए क्विंटल कर दिया गया है। खाद्य तेल उद्योग के मुताबिक सरकार के प्रोत्साहन और तेल-तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के आह्वान के बीच पिछले रबी सत्र में सरसों का करीब 90 लाख टन उत्पादन हुआ। इसमें से लगभग 11.5 लाख टन सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी एजेंसियों ने खरीदारी की लेकिन खुले बाजार में सरसों समर्थन मूल्य से 200 से 300 रुपए क्विंटल नीचे बिकी।

पंजाब आयल मिल्स एसोसियेसन के अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा, ‘‘पिछले खरीफ सत्र में सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,200 रुपए क्विंटल रहा है मंडी में इसका भाव एमएसपी से लगभग 200-250 रुपए क्विंटल नीचे रहा। देश में खाद्य तेलों की मांग के मुकाबले लगभग 70 प्रतिशत कमी होने के बावजूद मूंगफली, सोयाबीन और सरसों एमएसपी से 100-400 रुपए क्विंटल नीचे बिक रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘विगत खरीफ सत्र में मूंगफली का उत्पादन पिछले साल के 30 लाख टन के मुकाबले बढ़कर इस बार 54 लाख टन हो गया लेकिन राजकोट, जूनागढ़ सहित अन्य मंडियों में यह एमएसपी से 300-400 रुपए क्विंटल नीचे बिक रही है। मूंगफली का एमएसपी खरीफ सत्र में 4,450 रुपए से बढ़ाकर 4,890 रुपए क्विंटल किया गया। इसी प्रकार महाराष्ट्र की विभिन्न मंडियों में सोयाबीन 3,700 रुपए क्विंटल के एमएसपी भाव के मुकाबले 300-400 रुपए क्विंटल नीचे बिकी है।'' 

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