नई दिल्ली: तेल उद्योग के प्रमुख संगठन साल्वेंट एक्स्टेक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने आज कहा कि मई के महीने में पाम तेल का आयात 21.58 प्रतिशत बढ़कर 7,99,346 टन हो गया जिसका कारण घरेलू वनस्पति तेल के उत्पादन में कमी आना है जिसका कारण किसान द्वारा प्रसंस्करण के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे तिलहन की बिक्री करने से हिचकना था। भारत दुनिया में वनस्पति तेल का प्रमुख खरीद करने वाला देश है जिसने मई 2016 में 6,57,454 टन पाम तेल का आयात किया था।
एसईए ने आगाह किया कि कम मूल्य प्राप्ति की वजह से आगामी खरीफ सत्र में तिलहन की बुवाई प्रभावित होगी। मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए इस उद्योग संगठन ने सरकार से मांग की है कि वह तत्काल कच्चा और रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को बढ़ा दे।
देश का कुल वनस्पति तेल का आयात इस वर्ष मई में एक करोड़ 38.4 लाख टन पर अपरिवर्तित बना रहा जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में एक करोड़ 2.4 लाख टन का हुआ था। एसईए ने एक बयान में कहा, "विगत 2 महीनों में खाद्य तेलों का आयात काफी बढ़ा है क्योंकि किसान एमएसपी से नीचे तिलहन बेचने से हिचक रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप घरेलू वनस्पति तेल का उत्पादन कम हुआ।"
देश के कुल वनस्पति तेल के आयात में पाम तेल का हिस्सा 64 प्रतिशत का होता है। पाम तेल के उत्पादों में आरबीडी पामोलीन तेल का आयात इस वर्ष मई में 12.73 प्रतिशत बढ़कर 2.94 लाख टन हो गया जो आयात पूर्व वर्ष की समान अवधि में 2.94 लाख टन का हुआ था। हल्के तेलों में से सूरजमुखी तेल का आयात इस वर्ष मई में बढ़कर 1.54 लाख टन हो गया जो आयात पूर्व वर्ष की समान अवधि में 1.50 लाख टन का हुआ था।
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