लॉकडाउन में लोगों ने खूब खाए Parle G और मैगी नूडल्स, बिक्री के तोड़े रिकॉर्ड

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2020 10:36 AM

parle g maggi noodles consumed a lot in lockdown broke sales records

कोरोनावायरस को रोकने के लिए लागू लाॅकडाउन में जहां एक तरफ 5 रुपए में बिकने वाले पारले-जी बिस्किट की रिकाॅर्ड तोड़ बिक्री हुई है। वहीं, दूसरी तरफ इंस्टेंट मैगी नूडल्स की भी भारी डिमांड रही है।

बिजनेस डेस्कः कोरोनावायरस को रोकने के लिए लागू लाॅकडाउन में जहां एक तरफ 5 रुपए में बिकने वाले पारले-जी बिस्किट की रिकाॅर्ड तोड़ बिक्री हुई है। वहीं, दूसरी तरफ इंस्टेंट मैगी नूडल्स की भी भारी डिमांड रही है। लॉकडाउन के दौरान मैगी की बिक्री में 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नेस्ले ने बताया कि लॉकडाउन के बीच इंस्टेंट नूडल्स मैगी की लोगों ने अच्छी खरीदारी की। 

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82 सालों की रिकॉर्ड सेल 
पारले-जी 1938 से ही लोगों के बीच एक फेवरेट ब्रांड रहा है। लॉकडाउन के बीच इसने अब तक के इतिहास में सबसे अधिक बिस्कुट बेचने का रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि, पारले कंपनी ने सेल्स नंबर तो नहीं बताए लेकिन ये जरूर कहा कि मार्च, अप्रैल और मई पिछले 8 दशकों में उसके सबसे अच्छे महीने रहे हैं। 

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लॉकडाउन के दौरान बाहर खाना बंद रहा 
देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू हुआ और यह दो महीने से अधिक चला। 1 जून से अनलॉक-1 की शुरुआत हुई है। 8 जून से होटल और रेस्टोरेंट को खोलने की छूट मिली है। लाखों ऐसे लोग हैं जो नाश्ते में बाहर जाकर कुछ खाना पसंद करते हैं लेकिन दो महीने से सबकुछ बंद था। ऐसे में उनके लिए एकमात्र ऑप्शन मैगी बच जाता है। इसलिए मैगी की जबर्दस्त बिक्री हुई है। 

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सभी कारखानों में मैगी उत्पादन में तेजी 
नेस्ले इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायण ने बताया कि लॉकडाउन के बीच कंपनी को अपने सभी पांचों कारखानों में मैगी का उत्पादन काफी तेजी से करना पड़ा। नेस्ले का सालाना कारोबार करीब 12 हजार करोड़ रुपये का है। उसे उम्मीद है कि इस साल इसमें तेजी आएगी। 

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2015 में हुआ था विवाद 
2015 में मैगी को लेकर एक विवाद हुआ था जिसके बाद इसकी बिक्री पर सरकार ने रोक लगा दी थी। हाल के दिनों में एक रिपोर्ट आई है, जिसके मुताबिक उस घटना के चार साल बाद 2019 में मैगी की बिक्री 2014 में लगे प्रतिबंध के स्तर से आगे बढ़ी है। 2020 की शुरुआत में कोरोना लॉकडाउन ने इसकी बिक्री और तेज कर दी है जो कंपनी के लिए अच्छी खबर है। बता दें कि 2015 में मैगी के प्रॉडक्ट क्वॉलिटी पर सवाल खड़ा किया गया था। कहा गया था कि उसमें लेड यानी शीशा की मात्रा जरूरत से ज्यादा है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके बाद कंपनी को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। 

प्रवासी मजदूरों में खूब बांटे गए पारले-जी बिस्किट 
बता दें कि लॉकडाउन में बिस्किट की भी खूब बिक्री हुई है। महज 5 रुपए में मिलने वाला पारले-जी बिस्किट का पैकेट सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने वाले प्रवासियों के लिए भी खूब मददगार साबित हुआ। किसी ने खुद खरीद के खाया, तो किसी को दूसरों ने मदद के तौर पर बिस्किट बांटे। बहुत से लोगों ने तो अपने घरों में पारले-जी बिस्किट का स्टॉक जमा कर के रख लिया। 
 

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