नोट बैन से रियल एस्‍टेट सैक्‍टर को तगड़ा झटका, प्रॉपर्टी की कीमतें होंगी कम

Edited By ,Updated: 09 Nov, 2016 05:13 PM

prices of property will down in india

अगर आप घर या जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए अच्‍छी खबर है। आने वाले दिनों में घरों और जमीन की कीमतों में बड़े पैमाने पर गिरावट आ सकती है।

नई दिल्लीः अगर आप घर या जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए अच्‍छी खबर है। आने वाले दिनों में घरों और जमीन की कीमतों में बड़े पैमाने पर गिरावट आ सकती है। ब्लैक मनी को खत्म करने के लिए 500 और 1000 के नोटों का किया गया मोनेटाइजेशन का सबसे ज्यादा प्रभाव रियल्टी और गोल्ड सैक्टर पर पड़ेगा। रियल्टी सैक्टर पर पड़ने वाले सबसे अधिक असर से प्रॉपर्टी के रेट्स गिर सकते हैं।

रियल एस्टेट में है सबसे ज्यादा ब्लैकमनी
रियल एस्टेट में ब्लैक मनी को काफी यूज किया जाता है। रियल एस्‍टेट सैक्‍टर को इस फैसले से तगड़ा झटका लगा है। 500 और 1000 के नोट्स के डिमोनेटाइजेशन के बाद रियल एस्टेट सैक्टर में पारदर्शिता आने की उम्मीद है। इस कदम से प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट लगभग तय मानी जा रही है। ऐसे में निवेशक रियल स्टेट में पैसा नहीं लगा पाएंगे और बिल्डर्स को मजबूरन प्रॉपर्टी के रेट्स गिराने होंगे। दिल्ली-एनसीआर में इस का सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा क्योंकि यह मार्कीट कैश में कारोबार के लिए जाना जाता है।

छोटे बि‍ल्‍डरों और सेकेंडरी मार्कीट पर पड़ेगा असर
डी.एल.एफ. के सीईओ राजीव तलवार का कहना है कि हम कैशलेस इकनॉमी की ओर बढ़ रहे हैं जो कि एक परिपक्‍व अर्थव्‍यवस्‍था का संकेत है। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। उन्‍होंने कहा कि काले धन का सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल जमीन खरीदने में होता है। लेकिन पिछले 6-7 वर्षों में इस सैक्‍टर में जमीन की खरीद ज्‍यादा नहीं हुई है। बड़े बिल्‍डर और रियल एस्‍टेट कंपनियां कारोबार के लिए पहले से ही बैंक चैनल का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। ऐसी कंपनियों पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा। छोटे बि‍ल्‍डर और सेकेंडरी मार्कीट पर इसका असर जरूर पड़ेगा। हाउसिंग पर इसके असर के बारे में पूछे जाने पर राजीव तलवार ने कहा कि हाउसिंग सैक्‍टर में कीमतों में गिरावट आएगी। इससे मांग को मजबूती मिलेगी।

रियल्टी सैक्टर होगा पारदर्शी
ऐस्टेट एजेंट्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट यशवंत दलाल के अनुसार, 'प्रॉपर्टी मार्कीट में 30 प्रतिशत के करेक्शन की उम्मीद है। मार्कीट कंडीशन्स को देखते हुए ऐसे बिल्डर्स को भी रेट्स घटाने होंगे जो चेक से पेमेंट लेते हैं।' इसके अलावा प्रॉजेक्ट्स में देरी की भी समस्या आएगी। निवेश न होने की स्थिति में बिल्डर्स निमार्ण कार्य की गति कम कर देंगे। डीएलएफ के सीईओ राजीव तलवार का मानना है कि सरकार के इस कदम के बाद से रियल्टी सैक्टर ज्यादा पारदर्शी हो जाएगा।


 

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