रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचा क्षेत्र ने बजट को बताया संतुलित

Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jul, 2019 11:16 AM

real estate infrastructure sector balanced to budget

भारतमाला एवं सागरमाला जैसी बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं को इस बजट की महत्वपूर्ण विशेषता करार देते हुए रियल एस्टेट एवं बुनियादी ढांचा उद्योग ने कहा कि अगले पांच साल में अवसंरचना क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव से उद्योग को...

नई दिल्लीः भारतमाला एवं सागरमाला जैसी बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं को इस बजट की महत्वपूर्ण विशेषता करार देते हुए रियल एस्टेट एवं बुनियादी ढांचा उद्योग ने कहा कि अगले पांच साल में अवसंरचना क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव से उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। रियल एस्टेट एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़ी परामर्शदाता कंपनी आरईपीएल ने कहा कि पिछली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में नरमी को देखते हुए यह बजट आसान नहीं था।

हालांकि वित्त मंत्री ने बजट को संतुलन प्रदान करने की दिशा में शानदार काम किया है। उन्होंने कहा, ''रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए बहुत कुछ नहीं है लेकिन किफायती मकानों पर ध्यान जारी है और ऐसे आवासों के वास्ते लिए गए ऋण पर चुकाये जाने वाले ब्याज पर अतिरिक्त डेढ़ लाख रुपए की कर कटौती का लाभ इसी दिशा में उठाया गया कदम है।'' 

सरकार ने वर्तमान किराया कानून को बेहतर बनाने का भी निर्णय किया है, इससे भी क्षेत्र को बहुत फायदा होगा। उन्होंने कहा कि आवास के लिए ऋण उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को आरबीआई के दायरे में लाने के फैसले से अनियमिताओं को रोकने में मदद मिलेगी एवं क्षेत्र को लाभ मिलेगा। भारत की बहुराष्ट्रीय रियल एस्टेट कंपनी शोभा लिमिटेड के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक जेसी शर्मा ने कहा कि केंद्रीय बजट विकासोन्मुखी है और इसमें अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर जोर है। उन्होंने कहा, ''पिछले कुछ वर्षों में किफायती आवास श्रेणी पर जोर बढ़ा है। सबको आवास देने के सरकार के मिशन की वजह से इस क्षेत्र पर अब भी सरकार का बहुत अधिक ध्यान बना हुआ है।'' 

इसके अतिरिक्त बुनियादी तौर पर अच्छी स्थिति वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बारे में की गयी सरकार की घोषणा को भी शर्मा ने सकारात्मक बताया। इसी बीच एक ताजा रपट में कहा गया है कि भारत के संपत्ति बाजार में काफी अधिक स्थायित्व आ रहा है। ऐसा इसलिए कि 2011-12 में देश के शीर्ष नौ शहरों में सक्रिय आधे से ज्यादा रियल एस्टेट डेवलपर कई साल से मांग में कमी एवं नियामकीय अनुपालन को लेकर या तो बाजार से बाहर हो गए हैं या उन्होंने बड़े बिल्डरों के साथ समझौता कर लिया है। टाटा, महिंद्रा, गोदरेज, पिरामल और अडाणी जैसे बड़े समूहों के रीयल एस्टेट क्षेत्र में कदम रखने से भी स्थायित्व प्रक्रिया में मदद मिली। प्रॉपइक्विटी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ''गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई, ठाणे, पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता जैसे नौ प्रमुख शहरों में डेवलपरों की संख्या 2017-18 में 51 प्रतिशत घटकर 1,745 रह गई, जो 2011-12 में 3,538 थी।'' 

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