चावल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी, जानिए क्यों और कितने बढ़े दाम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Sep, 2021 12:29 PM

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बुधवार को चावल कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली। उत्तर भारत में सरबती, सेला मंडी के भाव 300 रुपए प्रति टन बढ़े हैं। NCDEX पर बासमती पैडी दाम बढ़कर 3200 रुपए प्रति टन बढ़ा है। कारोबारियों का कहना है कि कमजोर मॉनसून और मजबूत मांग के कारण कीमतों में...

बिजनेस डेस्कः बुधवार को चावल कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली। उत्तर भारत में सरबती, सेला मंडी के भाव 300 रुपए प्रति टन बढ़े हैं। NCDEX पर बासमती पैडी दाम बढ़कर 3200 रुपए प्रति टन बढ़ा है। कारोबारियों का कहना है कि कमजोर मॉनसून और मजबूत मांग के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। मई के बाद गुजरात मंडी में Rice Paddy 30 फीसदी महंगा हुआ है। 

इस खबर के बाद चावल कंपनियों के शेयर में उछाल देखने को मिला। एलटी फूड्स का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा उछाल के साथ 67.85 रुपए पर ट्रेंड कर रहा था। KRBL का शेयर करीब 3 फीसदी और जीआरएम ओवरसीज के शेयर में 5 फीसदी का उछाल देखा गया। 

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धान का MSP
आपको बता दें कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पिछले साल के 1868 रुपए प्रति क्विंटल के दाम से 72 रुपए बढ़ाकर साल 2021-22 के लिए 1940 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, इस साल रिकॉर्ड 123 मिलियन टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है। यह पांच वर्षों के औसत उत्पादन की तुलना में 9 मिलियन टन से अधिक है।

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कारोबारियों का कहना है कि आने वाले समय में धान की कीमतों में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि काफी समय से धान का भाव एक स्तर पर बना हुआ है। इसमें कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है लेकिन अब बाजार में स्थिति बदलने की संभावना है, जिसका सीधा लाभ किसानों को होगा।

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बाजार में धान का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, उत्पादन भी ज्यादा हो रहा है। इसी वजह से कीमतों में खासा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा। चावल का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में मांग बढ़ेगी। आने वाले महीनों, खासकर अक्टूबर और नवंबर से धान की कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान है।

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पिछले साल के मुकाबले कम हुई धान की बुवाई
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 26 अगस्त तक धान की हुई कुल बुवाई पिछले साल के मुकाबले 1.23 प्रतिशत कम है। किसानों ने 26 अगस्त तक 388.56 लाख हेक्टेयर में धान रोपा जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 393.41 लाख हेक्टेयर था। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को छोड़कर अधिकांश राज्यों में धान का कुल रकबा अब तक मामूली कम रहा है। धान की रोपाई में गिरावट ओडिशा, गुजरात, जम्मू और कश्मीर और मिजोरम में बारिश में भारी कमी के कारण हुई। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अन्य धान उत्पादक राज्यों तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड और राजस्थान में बारिश कम हुई है।

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