रुपया लंबे समय तक नहीं रहेगा कमजोर!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jun, 2018 12:13 PM

rupee will not remain weak for a long time

रुपए में गिरावट अल्पावधि में 70 का आंकड़ा पार कर सकती है, पर उसके बाद गिरावट का यह सिलसिला टिकाऊ नहीं रह सकता है। मुद्रा डीलरों और अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान व्यक्त किया है।

बिजनेस डेस्कः रुपए में गिरावट अल्पावधि में 70 का आंकड़ा पार कर सकती है, पर उसके बाद गिरावट का यह सिलसिला टिकाऊ नहीं रह सकता है। मुद्रा डीलरों और अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान व्यक्त किया है। भले ही रुपया गुरुवार को 69.09 के दिन के निचले स्तर पर पहुंच गया लेकिन आरबीआई के हस्तक्षेप से यह फिर से 68.36 पर वापस आ गया। डॉलर की तुलना में रुपया 68.47 पर बंद हुआ। रुपए में गिरावट की मुख्य वजह तेल कीमतों में वृद्घि है। ईरान पर प्रतिबंध और अन्य तेल उत्पादक देशों में उत्पादन सपाट रहने की वजह से तेल कीमतें चढ़ी हैं। चीन पर शुल्क को लेकर ताजा युद्घ और उसकी वजह से आई गिरावट भी रुपए में दबाव का काम कर रहा है। 

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इन दोनों उपर्युक्त कारकों में ऐसे समय में बदलाव देखा जा सकता है जब यूरोपीय देश ईरान पर दबाव घटाने की दिशा में काम कर रहे हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को शुल्क युद्घ से पहुंचने वाला नुकसान समाप्त होने की संभावना जताई जा रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि यूरोपीय केंद्रीय बैंक शुल्क बढ़ाना शुरू करता है तो इससे डॉलर में कमी आएगी। यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने अनुमान जताया है कि दर वृद्घि गर्मी के बाद या 2019 के शुरू में आरंभ होगी। फर्स्ट रैंड बैंक में ट्रेजरी प्रमुख हरिहर कृष्णमूर्ति का कहना है कि इसके अलावा मौजूदा स्तर निर्यातकों को अपने डॉलर बेचने के लिए पर्याप्त है।

रुपए में ताजा गिरावट अस्थायी
मुद्रा डीलरों का कहना है कि रुपए में बहुत ज्यादा अंतर नहीं दिख रहा है क्योंकि यह क्षेत्र में अन्य मुद्राओं के अनुरूप अपनी चमक खो रहा है। एशिया में रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली प्रमुख मुद्रा हो सकता है, पर दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया जैसे अन्य उभरते बाजार अपनी मुद्राओं पर भारी दबाव देख रहे हैं। केयर रेटिंग्स का कहना है कि रुपए में ताजा गिरावट अस्थायी है लेकिन यह चिंताजनक नहीं है। रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स के अर्थशास्त्रियों मदन सबनवीस और सुशांत हेडे ने लिखा है, 'जब अन्य मुद्राओं में हो रहे उतार-चढ़ाव की पृष्ठïभूमि पर विचार किया जाए तो यह स्तर (रुपये में गिरावट) भारतीय मुद्रा के लिए खतरे का संकेत नहीं हो सकता। इसके अलावा अस्थायी झटकों को सहन करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार मौजूदा समय में अनुकूल स्थिति में है।'

केयर रेटिंग्स का कहना है, 'आरबीआई द्वारा हस्तक्षेप नहीं किए जाने से रुपया 69 और उसके बाद 70 के स्तर के पार जा सकता है, क्योंकि भू-राजनीतिक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।' मौद्रिक उतार-चढ़ाव के कारणों में निवेशकों द्वारा अपने पोजीशन को निपटाना भी शामिल है। दोहरे घाटे से जूझ रहे भारत के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वह अगले साल होने वाले आम चुनाव की ओर भी बढ़ रहा है। एक अर्थशास्त्री ने कहा, 'निवेशकों ने भारत जैसे आयात-केंद्रित और तेल पर निर्भर देश की विकास संभावनाओं पर संदेह जताना शुरू कर दिया है।'

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